सिटी पोस्ट लाइव :आज का दिन धर्म में आस्था रखनेवाले लोगों के लिए बेहद ख़ास है.आज आश्विन शुक्लपक्ष की शरद पूर्णिमा है.आज रविवार को ध्रुव योग में आश्विन शुक्लपक्ष की शरद पूर्णिमा मनेगा. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की किरणें सोलह कलाओं की कलाओं के साथ अपनी शीतलता पृथ्वी पर प्रदान करेंगे.प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण भगवान कृष्ण ने आज ही महारास रचाया था. शरद पूर्णिमा के रात्रि में चंद्रमा की सोममय रश्मियां पेड़-पौधे व वनस्पतियों पर पडऩे से उनमें भी अमृत का संचार हो जाता है. चंद्र की पीड़ा के कारण लोगों कफ, खांसी, सर्दी, जुकाम, अस्थमा, फेफड़ों और श्वांस रोग संबंधी परेशानी होती है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र का अवलोकन व आराधना करने से मन को शांति मिलती है.
आज के दिन धन व वैभव की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होगी.शरद पूर्णिमा को सभी 12 पूर्णिमाओं में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.शरद पूर्णिमा को अतिपुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजन होगा. इस दिन प्रदोष बेला में मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से सुख-समृद्धि, धन-लाभ एवं एश्वर्य में वृद्धि होती है. मिथिलांचल में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन होता है.इस दिन नवविवाहित वर के घर में कोजगरा का पर्व मनाया जाता है.इसमें वधू पक्ष से कौरी, वस्त्र, पान, मखाना, फल, मिठाई, पाग आदि का संदेश आता है.
आज के दिन सनातन धर्मावलंबी पवित्रता से निर्मित खीर को पूरी रात चंद्रमा की अमृतोमय चांदनी में छत पर रखते हैं तथा भगवती लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाते है. इस दिन शुभ कार्य, गरीबों को दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। सुख, सौभाग्य, आयु और धन संपदा की प्राप्ति के लिए पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. शरद पूर्णिमा तिथि का आरंभ आठ अक्टूबर शनिवार की रात्रि 3.39 से आरंभ होकर नौ अक्टूबर रविवार की रात 2.35 बजे तक है. शरद पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व है.
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