सिटी पोस्ट लाइव : नहाए खाए के साथ ही आज से लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है । एक तरफ जहां आज गंगा स्नान के बाद कद्दू भात की परंपरा है तो दूसरी ओर छठ बर्ती मिट्टी के चूल्हे तैयार कर सुखाती हैं फिर गेहूं धोकर पूरी पवित्रता के साथ उसे सुखाया जाता है। फिर हाथ चक्की से गेहूं की पिसाई कर पूये पकवान बनाकर भगवान भास्कर को अर्पित किया जाता है। इस क्रम में बर्ती महिला पूरी श्रद्धा भाव से भगवान भास्कर का एवं छठी मैया का गीत गाते हुए गेहूं की कुटाई एवं सुखाई करते हैं। घरों की छतों पर गेहूं सूखने के दौरान बर्ती महिलाएं उन्हें पूरी देखरेख में रखते हैं जिससे कि कोई पक्षी या कोई अन्य जीव उसे अपवित्र ना करें। छठ व्रतियों ने कहा पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार वह लोग छठ व्रत का पालन करते हैं साथ ही साथ जिन लोगों की मन्नते भगवान भास्कर एवं छठ मैया की कृपा से पूरी होती हैं वह छठ व्रत रखती हैं तथा विभिन्न तरीकों से जैसे कुछ दंड बर्ती भी होते हैं तो कुछ छठ घाटों पर कष्ट देकर अपने वर्त का पालन करती हैं ।
नहाय खाय को लेकर आज बेगूसराय जिले के सिमरिया , झमटिया, सहित विभिन्न गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में छठवर्ती एवं श्रद्धालु गंगा स्नान करने पहुंचे । गंगा स्नान करने के बाद छठ व्रती महिलाएं गंगाजल लेकर अपने अपने घर को गए ताकि अब 4 दिनों तक घरों में गंगा जल से छठ व्रत की पूजा अर्चना संपन्न की जा सके। हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा लगातार लोगों से अपील की गई थी कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कम संख्या में लोग गंगा घाटों पर पहुंचे, लेकिन कहीं न कहीं लोगों की आस्था कोरोना संक्रमण पर भारी दिख रही है। अगर सुरक्षा इंतजामों की बात की जाए तो जिला प्रशासन के द्वारा झमटिया घाट पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। देखा जाए तो गंगा के बढ़े जलस्तर के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई विशेष तैयारी नहीं की गई है। ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता।
बेगूसराय से सुमित कुमार की रिपोर्ट
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