कल से शुरु हो रहा है विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला, पितरों को पिंडदान करते हैं लोग
सिटी पोस्ट लाइव : आगामी 24 सितंबर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष महासंगम-2018 मेला कल से शुरु हो रहा है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में इसका उद्घाटन करेंगे.यात्रियों के आवासन, चिकित्सा, पेयजल बिजली की समुचित व्यवस्था की गई है.यात्रियों को कहीं कोई परेशानी ना हो इसके लिए मंदिर के बाहर संवाद सदन समिति के पास नियंत्रण कक्ष बनाया गया है. जहां सभी प्रकार की जानकारी तीर्थयात्रियों को उपलब्ध कराई जाएगी.मेला को लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारी की गई है. विष्णुपद मंदिर परिसर में बड़ा सा पंडाल बनाया गया है. जहां मेला का विधिवत उद्घाटन उप-मुख्यमंत्री करेगें.
हिन्दू धर्म में अपने पूर्वजों की आत्मा की संतुष्टि के लिए उनके श्राद्ध करने की परंपरा है. पितृपक्ष के दौरान 15 दिनों तक देश-विदेश से गया आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों को पिंडदान करते हैं. माना जाता है कि हिन्दू धर्मावलंबियों को माता-पिता के साथ-साथ अपने दादा-नाना और दादी-नानी से ऊपर के पूर्वजों का भी श्राद्ध करना चाहिए. आमतौर पर मृत्यु-तिथि को ही श्राद्ध की महत्ता बताई जाती है, लेकिन पितृपक्ष में श्राद्ध करने को भी पवित्र माना जाता है. खासकर अगर गया में श्राद्ध किया जाए तो यह पूर्वजों की संतुष्टि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है.पितरों के लिए खास आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है.
पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे प्राचीन गया शहर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पितृपक्ष और पिंडदान को लेकर अलग पहचान है.माना जाता है कि हिन्दू धर्मावलंबियों को माता-पिता के साथ-साथ अपने दादा-नाना और दादी-नानी से ऊपर के पूर्वजों का भी श्राद्ध करना चाहिए.हिन्दु शास्त्रों में गया का अत्यधिक महत्व है. क्योंकि पुराणों के अनुसार गया पुण्यभूमि है और यहां पर श्राद्ध करने से वंशजों का उद्धार हो जाता है. गया में पिंडदान का बड़ा महत्व है, जिसका वर्णन विभिन्न धर्मग्रंथों में किया गया है.