कार्तिक पूर्णिमा : गंगा घाटों पर उमड़ा आस्था का जन-सैलाब, इस बार बना दुर्लभ संयोग
सिटी पोस्ट लाइव : कार्तिक मास का आज कार्तिक पूर्णिमा है. आज के दिन का बड़ा ही धार्मिक महत्त्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की खास पूजा और व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान और गंगा स्नान का बेहद महत्व है. आज पूर्णिमा के दिन हे सिखों के पहले गुरु नानक जी का जन्म हुआ था.आज पुरे देश में गुरु नानक जयंती मनाया जाता है. इस जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में देश भर में मनाया जा रहा है.
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर गंगा घाटों पर आस्था का जन-सैलाब उमड़ा हुआ है. राजधानी पटना के गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ गंगा स्नान करने पहुंची है. गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये गए हैं. पटना के सभी गंगा घाटों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गये हैं. धर्म के जानकार पंडित आशुतोष शास्त्री के अनुसार साल 2018 का अंतिम पर्व कार्तिक पूर्णिमा सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है. इसी दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था. इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस अवसर पर पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन तथा दान का बहुत महत्व है.
इस बार कार्तिक पूर्णिमा में दिनांक 22 को ही 12 बजकर 55 मिनट पर पूर्णिमा आरंभ होकर 23 को 11 बजकर 11 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. यदि इस दिन आप गंगा स्नान करते हैं तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी .क्योंकि इस दिन आकाश से अमृत वृष्टि होती है. इसी अमृत को पाने के लिए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी में स्नान करने आते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर जो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं उनके अनुसार त्रिपुरासुर ने देवताओं को पराजित कर उनके राज्य छीन लिए थे. भगवान शिव ने राक्षसों के राजा त्रिपुरासुर का वध किया था. इसीलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा उसकी मृत्यु के बाद देवताओं में उललास का संचार हुआ, इसलिए देव दिवाली कहा गया. देवताओं ने स्वर्ग में दीये जलाए. आज भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदिरों में और गंगा नदी के घाटों पर दीये प्रज्वलित किए जाने का बहुत महातम है.
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