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गंगा घाट पर छठ पूजा करना नहीं होगा आसान, जलस्तर कम नहीं होने से बढ़ी समस्या

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सिटी पोस्ट लाइव : इस साल गंगा घाटों पर छठ पूजा का अनुष्ठान आसान नहीं होगा. इस साल गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी की वजह से ज्यादातर घात खतरनाक बने हुए हैं.शासन प्रशासन की तैयारी का आलम ये है कि छठ पूजा में मुश्किल से 15 दिन बचे हैं और अब तक घाटों की सूची तक तैयार नहीं हो पाई है. जिला प्रशासन के गंगा का पानी 10 फिट कम हो गया था जो दोबारा बढ़ गया है. इस कारण से पटना के घाटों पर खतरा बना हुआ है. पिछले 5 साल में ऐसी स्थिति नहीं बनी थी. प्रशासन सूची तैयार करने में जुटा है लेकिन गंगा बाधा बन रही है.

गौरतलब है कि बुधवार को CM नीतीश कुमार ने घाटों का निरीक्षण किया था उन्होंने गंगा के जल स्तर को देख घाटों पर सुरक्षा को लेकर विशेष सावधानी बरतने की चेतावनी दी है.छठ महापर्व को लेकर सीएम नीतीश कुमार के घाटों के दौरे से पूर्व अधिकारियों ने नासरीगंज से लेकर दीदारगंज तक के घाटों का निरीक्षण किया. डीएम ने जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता को गंगा नदी में बढ़े जलस्तर पर विशेष नजर रखने और जलस्तर के घटते क्रम पर प्रतिदिन मॉनिटरिंग कर रिपोर्ट देने को कहा है. नदीं में जब तक पानी कम नहीं होगा प्रशासन बैरिकेडिंग भी नहीं कर सकता है. इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों को लगाया गया है.

जानकारों का कहना है कि घाटों की सफाई भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी. जब तक जल स्तर कम नहीं होता है तब तक घाटों की साफ सफाई का काम संभव नहीं हो पाएगा. जानकारों का कहना है कि साफ सफाई के लिए पाटलिपुत्रा, बांकीपुर, अजीमाबाद अंचल तथा नगर परिषद दानापुर के कार्यपालक पदाधिकारी को घाटों की साफ-सफाई, बैरिकेडिंग सहित अन्य व्यवस्था के लिए लगाया गया है। मिशन मोड में समय से घाटों का काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है.5 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब अर्घ्य को लेकर सुरक्षा की बड़ी तैयारी करनी पड़ रही है. बैरिकेडिंग को लेकर प्रशासन परेशान है क्योंकि अधिक पानी में बैरिकेडिंग पर भी बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता है. मौजूदा समय में पानी में काफी तेज धार है और ऐसे में बैरिकेडिंग को बचाए रखना भी बड़ी चुनौती है.

जिला प्रशासन ने छठ पर्व के दौरान नदी में निजी नाव के परिचालन पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. सुरक्षा को लेकर रिवर पेट्रोलिंग करने तथा घाटों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की तैनाती कर उन्हें अलर्ट मोड में रखने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है. खतरनाक घाटों को चिन्हित करने तथा सूची तैयार कर उन घाटों को प्रतिबंधित करने तथा जनहित में प्रचारित करने का भी निर्देश दिया जा रहा है. अब तक 5 साल के रिकॉर्ड में ऐसा नहीं हुआ है कि बाढ़ का असर इतने लंबे समय तक रहे.

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