सिटी पोस्ट लाइव : सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गले में हार की तरह सुशोभित नाग देवता की पूजा का भी अत्यंत महत्व है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का महापर्व मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी है. नाग पंचमी के दिन शिव भक्त तमाम तरह की मंगलकामनाओं के साथ कुंडली से जुड़े कालसर्प दोष को दूर करने के लिए विधि–विधान से नाग देवता का पूजन और दर्शन करते हैं.
आज नाग पंचमी के मौके पर बेगूसराय जिले के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी गई। हलांकि बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन के द्वारा गंगा घाटों पर एवं देव स्थलों पर भीड़ भाड़ लगाने की इजाजत नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी कोरोना संक्रमण पर लोगों की आस्था भारी दिख रही है। दरअसल मान्यता है कि आज नाग पंचमी के दिन नीम और कुश का बंधन गंगा घाटों पर दिया जाता है.
जिस परिवार में जितने भी सदस्य रहते हैं सभी सदस्यों के नाम से महिलाएं कुश की गांठ लगाती हैं एवं नीम के पत्ते के साथ बांधकर गंगा स्नान करती हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न रहते हैं एवं लोगों को क्षति नहीं पहुंचाते। जिले के सिमरिया, झमटिया गंगा घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर भी बड़ी संख्या में लोग आज गंगा स्नान को पहुंचे। इस दौरान प्रशासनिक लापरवाही भी देखने को मिली जिसमें कि प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार की सुरक्षा का व्यवस्था नहीं किया गया था जिससे कहीं ना कहीं सरकारी आदेश की अवहेलना साबित हो रही है।
बेगूसराय से सुमित कुमार की रिपोर्ट
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