सिटी पोस्ट लाइव : वृंदावन में अपनी पहले श्रीमद् भागवत कथा से अध्यात्म की दुनिया में एक झटके में अपनी एक खास पहचान बना चुके बिहार के पूर्व डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय ने अपने अध्यात्मिक जीवन से जुडी एक 40 साल पुराणी कहानी लोगों के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया है. देश भर में बिहार के डीजीपी के रूप में गुप्तेश्वर पाण्डेय के नाम से चर्चित shri पाण्डेय अब अध्यात्म की दुनिया में भाई श्री गुप्तेश्वर जी महाराज के रूप में जाने-पहचाने जा रहे हैं. Bihar Ex DGP Gupteshwar Pandey बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का जीवन निराला है. संस्कृत विषय से स्नातक पांडेय आइपीएस बनने से पहले साधु बन जाने के लिए निकल गए थे. इस दौरान अयोध्या में उनके साथ अजीब घटना हुई, जिसे उन्होंने अपने फेसबुक पर साझा किया है.
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Bihar Ex DGP Gupteshwar Pandey) हमेशा अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं. जीवन का लंबा अरसा भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के अधिकारी के तौर पर गुजारने वाले पांडेय ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) से ठीक पहले बिहार का डीजीपी रहते अपने पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया था. राजनीति में भी एक अलग मानक स्थापित करने की मंशा से JDU ज्वाइन भी किया लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई. फिर क्या था संस्कृत से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले पांडेय ने अध्यात्म की राह पकड़ ली., हालांकि यह रास्ता उनके लिए नया नहीं है. बचपन से ही अध्यात्म से उनका गहरा लगाव रहा है और पुलिस की सेवा में रहते हुए भी उनका वह रूप अक्सर दिख जाता था.
गुप्तेश्वर पांडेय का ज्यादातर वक्त आजकल अयोध्या, मथुरा और वृंदावन की गलियों, मठों और मंदिरों में गुजर रहा है. वृन्दावन में अपनी पहली श्रीमद् भागवत कथा करके अध्यात्म की दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुके भाई श्री गुप्तेश्वर जी महाराज धार्मिक मंचों, सत्संग और प्रवचन के कार्यक्रमों में लगातार दिखते रहते हैं. पिछले दिनों उन्होंने पटना से सटे सारण जिले के सोनपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और श्रद्धालुओं को अध्यात्म की राह बताई. गत रविवार को उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए अयोध्या के साथ ही उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से जुड़ी पुरानी यादें साझा कीं.
पांडेय ने बताया कि आजकल वह अयोध्या में प्रवास कर रहे हैं. इसी दौरान उन्हें 40 साल पुरानी स्मृतियां याद आईं तो गोंडा जिले के नवाबगंज में चले आए. यह इलाका अयोध्या से सरयू नदी को पार करने पर पड़ता है और दूरी लगभग 20 से 25 किलोमीटर पड़ती है. उन्होंने बताया कि यूपीएसएसी में चयन होने से पहले उन्हें अध्यात्म की राह सूझ गई थी और उन्होंने साधु बनने की सोच ली. तब वे पटना विश्वविद्यालय में पढ़ा करते थे. बीए की फाइनल परीक्षा देने के बाद एक दिन बिना किसी को बताए वे अयोध्या चले आए और आसपास के इलाके में भिक्षाटन कर अपना गुजारा करने लगे. तब उनकी उम्र लगभग 21-22 वर्ष हुआ करती थी.
उन्होंने बताया कि करीब 40 साल पहले वह अयोध्या के अलावा गोंडा जिले के गांवों में भी भिक्षाटन किया करते थे. इसी दौरान एक रात वे नवाबगंज में रुके थे. रात को ठहरने के मकसद से वह एक धर्मशाला में पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें जगह नहीं मिली. इसके बाद वे धर्मशाला के बाहर पड़ी एक खाट पर सो गए थे. देर रात को एक शराबी आया और उसने खाट उलट दी और पांडेय नीचे गिर गए. इसके बाद वे थोड़ी देर के लिए बगल से गुजर रही एक नाली की पुलिया पर सोए थे. उन्होंने बताया कि अब इस पूरे इलाके का स्वरूप बदल गया है. 40 साल पुरानी बस्ती अब काफी बड़ी और शहर जैसी हो गई है. वे अपनी यादों को दोहराने के लिए ढूंढते हुए खास तौर पर उस धर्मशाला में पहुंचे और वहां का वीडियो बनाया.
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