सिटी पोस्ट लाइव : अभिनेता की रहस्यमय मौत देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.बिहार में विधान सभा चुनाव है इसलिए सभी दल सुशांत सिंह को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठा रहे हैं. बीजेपी सांसद रूपा गांगुली ने हैशटैग ‘सीबीआई फॉर सुशांत’ के साथ कम से कम सौ ट्वीट किए. RJD के तेजस्वी यादव ने फिल्म अभिनेता शेखर सुमन के साथ मिल्कत जस्टिस फॉर सुशांत अभियान की शुरुवात की.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की सीबाई जांच की सिफारिश कर तीर मार लिया.
इस मेल की सीबीआई जांच की मांग तो लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान भी कर रहे थे.कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ सरकार चला रही है.वो न तो सुशांत के पक्ष में अभियान चल रहे लोगों की मुखालफत कर पा रही है और ना ही सीबीआई जांच का समर्थन कर पा रही है. सबसे बड़ा सवाल राजनीतिक दलों के लिए सुशांत सिंह इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गए.सुशांत सिंह जिस जाति से आते हैं उसकी आबादी मुश्किल से बिहार में 4 फिसद है फिर भी क्यों सभी दलों का सुशांत प्रेम इतना उफान मार रहा है?
दरअसल, सुशांत की जाति वाले लोगों की राज्य में आबादी केवल 4 फीसदी भले है लेकिन यहां राजपूतों का एक ऐसा प्रभावशाली समुदाय है जो चुनावों पर प्रभाव डालने की ताकत रखता है. इसकी झलक यहां के नेताओं की प्रतिक्रियाओं में साफ नजर आती है.दरअसल, इसके पीछे राजनीतिक कारण से ज्यादा भावनात्मक कारण प्रमुख है. बॉलीवुड के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि ‘पद्मावत’ फिल्म का करणी सेना द्वारा विरोध किए जाने के बाद सुशांत ने अपनी सरनेम हटाने तक की बात कह दी थी. लेकिन आज बिहार की राजनीतिक रंगभूमि में सुशांत ही राजपूतों का सबसे बड़ा कोई चेहरा हैं, जो कथित रूप से बॉलीवुड सिस्टम का शिकार हुए.
अब यदि राजपूतों की राजनीतिक ताकत का आंकलन करना हो तो बिहार के पिछले चुनावों पर नजर डालें. 2015 के विधानसभा चुनावों के टिकट वितरण में बीजेपी ने ऊंची जाति के 65 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 30 राजपूत थे.जेडी-यू, आरजेडी और कांग्रेस के ‘महागठबंधन’ ने ऊंची जाति के जिन 39 उम्मीदवारों को टिकट दिए थे, उनमें से 12 राजपूत थे.यहां तक कि सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने वाली राजद ने अपनी बिहार इकाई के लिए अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह को चुना, जो कि राजपूत हैं.
पिछले हफ्तों में दो मुख्यमंत्री, बिहार के नीतीश कुमार और हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर सुशांत के पिता से मिलने पहुंचे. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, भाजपा सांसद मनोज तिवारी भी सुशांत के घर गए. राजनेताओं की ये यात्राएं साफतौर पर बताती हैं कि ‘बिहारी अस्मिता’ से समझौता नहीं किया जाएगा और ‘हम राजपूतों के साथ खड़े हैं’.
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