क्यों अपने ही लोगों के निशाने पर आ गए सुशील मोदी ?
सिटी पोस्ट लाइव : एकबार बम फोड़कर बीजेपी नेता संजय पासवान ने चुप्पी साध ली है.संजय पासवान ने पिछले दिनों नीतीश कुमार से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के लिए छोड़ देने और केंद्र की राजनीति करने की सलाह दी थी. उनके इस बयान के बाद से बीजेपी-जेडीयू के बीच घमशान शुरू हो गया है. लेकिन अब संजय पासवान ने चुप्पी साध ली है.अब संजय पासवान के बाद मोर्चा संभाल लिया है बीजेपी के दुसरे नेता डॉक्टर सीपी ठाकुर ने.
उप-मुख्यमंत्री, बिहार बीजेपी के कदावर नेता सुशील मोदी द्वारा सीएम नीतीश को एनडीए का सबसे योग्य कैप्टन बताये जाने और उनके नेत्रित्व में ही अगला विधान सभा चुनाव लड़े जाने के बयान का बीजेपी के छोटे-बड़े नेता विरोध कर रहे हैं.वो अपने ही नेता सुशील मोदी के बयान को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं.बुधवार को बिहार बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने मोदी के बयान को खारिज करते हुए कहा था कि 2020 चुनाव के समय हीं सीएम उम्मीदवार तय होगा.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी ठाकुर भी इस लड़ाई में कूद चुके हैं. उन्होंने ये साफ़ कह दिया है कि अभी सीएम कैंडिटेट तय नहीं हुआ है.उन्होंने कहा कि सुशील मोदी का ट्वीट उनका निजी राय थी. एनडीए की बैठक में ही सीएम पद का उम्मीदवार फाइनल होगा. सीपी ठाकुर ने सुशील मोदी को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी करने की नसीहत भी दे डाली है. उन्होंने कहा कि पार्टी की कोर कमिटि की बैठक में हीं निर्णय लिया जाएगा कि नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे या बीजेपी अलग चुनाव लड़ेगी.
गौरतलब है कि ये विवाद बीजेपी एमएलसी संजय पासवान के इस बयान के बाद पैदा हुआ था कि नीतीश कुमार को अब बिहार की गद्दी बीजेपी को सौंप कर दिल्ली चले जाना चाहिए. बिहार की गद्दी सुशील मोदी को सौंप देनी चाहिए.उसके बाद मंगोलिया से पटना लौटे सुशील मोदी ने बुधवार को ट्वीट करके सीएम नीतीश कुमार को बिहार एनडीए का सफल कैप्टन करार देते हुए ये साफ़ कर दिया था कि अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होगें.उन्होंन साफ़ कह दिया था कि 2020 के विस चुनाव में भी नीतीश कुमार एनडीए के चेहरा होंगे.
गौरतलब है कि ये पहला मामला नहीं है जब बीजेपी के किसी नेता ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला है. इसके पहले लोकसभा चुनाव के तुरत बाद बिहार बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने भी नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाया था.उस समय भी मामले को ठंढा करने के लिए उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को आगे आना पड़ा था.
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