सिटी पोस्ट लाइव : एससी-एसटी एक्ट में संशोधन और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग को लेकर बुलाये गये भारत बंद का बिहार में भी व्यापक असर रहा. बिहार में इस बंद का आहवान सवर्ण सेना ने किया था. बंद का असर इस कदर रहा कि राज्य में सड़क से लेकर रेल मार्ग तक पर यातायात बाधित रहा. सबके जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि गरीब सवर्णों के आरक्षण की मांग और एससी-एसटी एक्ट में हुए सुधार के विरोध में बुलाये गये इस बंद के पीछे कौन चेहरा था? किसके कहने पर बिहार में सवर्ण तबके के लोग सड़कों पर उतर आये और इस संगठन का उद्देश्य आखिर क्या है?
इस सख्श का नाम है भागवत शर्मा. बिहार के जहानाबाद जिले के रहने वाले भागवत शर्मा हिन्दी से रिसर्च स्कॉलर हैं . अरुणाचल प्रदेश के सेंट्रल यूनिवर्सिटी से कामायनी पर रिसर्च कर रहे हैं. वो पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक मसलों को लेकर भी सक्रिय रहते हैं. आरक्षण को लेकर उनका रुझान कॉलेज के दिनों में ही सामने आया था.
भागवत कहते हैं कि न तो मेरी लड़ाई आरक्षण के विरुद्ध है और न ही एससी-एसटी एक्ट से कोई शिकायत है . मेरी मांग है कि बिहार समेत देश के उन सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ मिले, जो आर्थिक तौर से कमजोर हैं. एससी-एसटी एक्ट कानून में सुधार हो, ताकि किसी निर्दोष को इस एक्ट में न फंसाया जा सके. भागवत ने कहा कि आज देश में इस एक्ट के तहत होने वाले मुकदमों में 80 फीसदी से ज्यादा फर्जी हैं जिसे मैं नहीं बल्कि कोर्ट कह रहा है.
भागवत ने कहा कि मैं इस मुद्दे को 2016 से ही उठा रहा हूं और समय-समय पर सड़क पर भी उतरता हूं. लेकिन मेरा तरीका वैधानिक होता है. भागवत ने सवर्ण सेना को रजिस्टर्ड करा रखा है. उनके मुताबिक सवर्ण सेना 2017 में रजिस्टर्ड हुई और अभी इस सेना के 50 हजार से ज्यादा सदस्य हैं. भागवत शर्मा ने कहा कि दो सालों में उन्होंने संगठन को बहुत मजबूत किया है. अब यह सेना अपने हक़ और हुकुक की लड़ाई खुद लड़ सकती है.
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