City Post Live
NEWS 24x7

क्या तेजस्वी को हरा पायेगी तेजप्रताप की तेजसेना, अब तेज होनेवाली है विरासत की जंग

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

क्या तेजस्वी को हरा पायेगी तेजप्रताप की तेजसेना, अब तेज होनेवाली है विरासत की जंग

सिटी पोस्ट लाइव : RJD में पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने को लेकर लालू यादव के दोनों बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी के बीच शीत युद्ध जारी है. लालू यादव ने अपनी राजनीतिक विरासत भले तेजस्वी यादव को सौंप दिया हो लेकिन तेजप्रताप यादव इसे सहजता के साथ स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. पार्टी में अपनी अहमियत बनाए रखने के लिए वो लगातार बड़े बड़े खेल करते आ रहे हैं. अपनी ही पार्टी और भाई तेजस्वी के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं. आजतक उन्हें सफलता तो नहीं मिली है लेकिन लोक सभा चुनाव में पार्टी का खाता नहीं खुलने के बाद तेजस्वी यादव पिछले एक महीने से अज्ञातवास में हैं और तेजप्रताप यादव की सक्रियता काफी बढ़ गई है.

अब कल तेजप्रताप यादव तेज सेना का गठन करने जा रहे हैं. तेजप्रताप 28 जून को ‘तेज सेना’ नाम का संगठन लांच करेंगे. उन्होंने युवाओं से अपनी सेना में शामिल होने की अपील की है. दरअसल कभी बदलाव यात्रा, कभी लालू-राबड़ी मोर्चा तो कभी तेज सेना के नाम पर तेजप्रताप खुद को आरजेडी के मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में स्थापित करने की कोशिश करते रहे हैं. सवाल यह कि जब लालू यादव ने एक तरह से तेजस्वी यादव को विरासत की कमान सौंप दी है, तो फिर तेजप्रताप उसे सहजता के साथ स्वीकार क्यों नहीं कर पा रहे.

तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति में बीते कुछ दिनों से तेजप्रताप यादव जिस तरह से सक्रीय हैं इससे जाहिर हो गया है कि पार्टी की कमान वो पाने हाथ में लेना चाहते हैं. सूत्रों के अनुसार तेजस्वी के पार्टी पर बढ़ते प्रभाव से तेजप्रताप यादव तो नाराज हैं ही साथ ही बड़ी बहन मिसा भारती भी असहज मह्सुश कर रही हैं. सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव की पार्टी में बढती पकड़ से बहन मीसा भारती और तेजप्रताप दोनों ही परेशान हैं. मिसा भारती चुप्पी साधे हुई हैं लेकिन तेजप्रताप यादव अपनी बेचैनी नहीं छुपा पा रहे हैं.

पिछले लोक सभा चुनाव में मीसा भारती को ये भनक लग गई थी कि तेजस्वी उनकी जगह भाई वीरेन्द्र को पाटलिपुत्र से चुनाव लड़कर उन्हें किनारे करने की कोशिश  कर रहे हैं. उन्होंने उस समय ये कहते हुए साफ़ लहजे में चेतावनी दे दी थी कि अगर कोई सामने से लड़ेगा तो रानी झांसी बाई की तरह लड़ेंगे, लेकिन पीठ में कोई खंजर घोंपेगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वह पार्टी का कार्यकर्ता क्यों न हो.

सूत्रों के अनुसार पार्टी से किनारे हो चुके तेजप्रताप यादव और मिसा भारती एक हो चुके हैं. मिसा भारती तेजस्वी की जगह तेजप्रताप यादव को पार्टी में स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रही हैं. 16 दिसंबर को जिस अंदाज में तेजप्रताप आरजेडी ऑफिस पहुंचे, मीटिंग ली और विरोधियों के खिलाफ हुंकार भरते हुए जंग का एलान किया, इससे ये संकेत साप निकलकर आ रहा था कि तेजप्रताप पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने की कोशिश शुरू कर दी है.

बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव यात्रा पार्टी संगठन को मजबूत कर तेजप्रताप यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने की कोशिश दिसंबर महीने में ही शुरू कर दी थी. तेजस्वी के साथ मनमुटाव और अपने मतभेद को तेजप्रताप सार्वजनिक रूप से उजागर करते रहे हैं. 13 मई को नालंदा की एक चुनावी सभा में तेजप्रताप ने तेजस्वी के सामने ही मंच पर कह दिया कि   वो ‘हमेशा से व्याकुल रहे कि तेजस्वी के साथ चुनाव प्रचार करें लेकिन तेजस्वी  पहले ही हेलीकॉप्टर से उड़ जाते थे और वो जमीन पर ही छुट जाते थे. तेजप्रताप के इस बयान से साफ है कि वो अपने छोटे भाई तेजस्वी के साथ हर वक्त साथ होना चाहते थे, लेकिन तेजस्वी ने तेजप्रताप से दूरी बना रखी थी.

विरासत के संघर्ष में तेजस्वी अपने बड़े भाई पर तब ही भारी दिखने लगे जब 28 मार्च को तेजप्रताप ने छात्र राजद के संरक्षक पद से भी इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने से महज दो घंटे पहले तेज प्रताप यादव ने कहा था वो  सिर्फ तेजस्वी को सुझाव देने की हैसियत रखते हैं न कि कोई निर्णायक भूमिका है. दोनों भाइयों के बीच दूरी 26 जनवरी को भी दिखी थी जब तेज प्रताप आरजेडी कार्यालय पहुंचे थे.दफ्तर के मेन गेट में ताला जड़ दिया गया था. हालांकि, तेज प्रताप ने इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन सियासी गलियारों में यही चर्चा थी कि ऐसा तेजस्वी यादव के आदेश पर पार्टी दफ्तर में तेजप्रताप की इंट्री रोकी गई थी.

दरअसल तेजप्रताप को अपनी ही पार्टी में उपेक्षा झेलनी पद रही है.पार्टी में उन्हें कोई भाव  नहीं मिल रहा है. तेजप्रताप यादव ने जब 3 जनवरी को पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से बहन मीसा भारती के चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, तब तेजस्वी ने खुलकर इसका विरोध करते हुए बड़े भाई को अनुशासन की नसीहत तक दे डाली थी. ऐसे में तेजप्रताप की ‘तेज सेना’ बनाने की पहल भी तेजस्वी के एकाधिकार को चुनौती देने की एक कोशिश भर मानी जा रही है.अबतक तो तेजप्रताप अपने किसी भी कार्यक्रम और मोर्चे को बहुत आगे नहीं बढ़ा पाये हैं लेकिन अब ये देखना है कि तेज की तेज सेना क्या तेजस्वी को पराजित कर पार्टी पर तेज का कब्ज़ा करा पायेगी.

-sponsored-

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.