लालू यादव ने अपनी किताब में शिवानंद, रामकृपाल, पप्पू यादव , श्याम रजक के बारे में क्या लिखा है?
सिटी पोस्ट लाइवः राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की किताब गोपालगंज टू रायसीना मेरी राजनीतिक यात्रा में उन नेताओं का भी जिक्र है जिन्होंने उनका साथ छोड़ा और दूसरी पार्टियों में चले गये, कुछ वापस भी आए। लालू ने अपनी किताब में इन नेताओं का नाम तो नहीं लिया है लेकिन बेहद तल्खी के साथ उनके बारे में लिखा है। उनका जिक्र करते हुए लालू ने अपनी तारीफ भी की है और खुद को बड़े दिलवाला राजनेता बताया है। चूंकी लालू ने अपनी किताब में उन नेताओं का नाम नहीं लिया है इसलिए यह बताना जरूरी हो जाता है कि लालू का इशारा किस पर है। दरअसल शिवानंद तिवारी, रामकृपाल यादव, श्याम रजक, पप्पू यादव सहित वैसे तमाम नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है जो कभी लालू के बेहद करीबी हुआ करते थे बाद में उनका साथ भी छोड़ा हांलाकि शिवानंद तिवारी ने आरजेडी छोड़कर जेडीयू का दामन थामा और फिर जेडीयू छोड़कर आरजेडी में वापस लौटे।
लालू ने इन तमाम नेताओं के बारे में यह लिखा है कि जरूर इन नेताओं के अंदर अपराधबोध होता होगा। लालू बात की शुरूआत भगवती देवी के जिक्र से करते हैं। लालू लिखते हैं-‘भगवती देवी मुसहर समुदाय की एक बड़ी नेता थीं। उन्होंने दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवन सफर शुरू किया था। वह गया जिले के पहाड़ियों में पत्थरों की खुदायी करती थी। वह 1940 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राम मनोहर लोहिया और जेपी से जुड़ गयी और जेल भी गयी थीं। वह 1969 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर गया से विधायक चुनी गयी थीं। लेकिन बाद के नेताओं ने उन्हें किनारे लगा दिया। मैंने उन्हें 1996 में गया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया और वह 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गयी। बाद में उनकी बेटी समता देवी हमारी पार्टी में शामिल हो गई और गया से विधायक भी चुनी गयी।’ ऐसे और तमाम लोग भी हैं जिन्हेें मैंने चुना और आगे बढ़ाया। लेकिन यह सूची इतनी लंबी है कि यहां उन सबका नाम लेना मुश्किल होगा।
इनमें से कई ऐसे नेता भी हैं, जिन्होंने अपने समुदाय, हमारी पार्टी और व्यक्तिगत रूप से मुझे धोखा भी दिया और भाजपा ओर उसके सहयोगियों से मिल गये। इनमें से कई ऐसे भी थे जो फिर वापस पार्टी में लौटे, मैंने उन्हें माफ किया और शरण भी दी। ऐसे मामलों में मैंने हमेशा बड़ा दिल रखा और किसी तरह का कोई पूर्वाग्रह नहीं दिखाया। लेकिन इसके बाद अफसोस की बात है कि ये नेता अपनी हरकतोें से बाज नहीं आये। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा लेकिन जब वे ये पंक्तियां पढ़ेंगे तो उन्हें जरूर अपराध बोध होगा।’
कभी लालू के खासमखास रहे रामकृपाल यादव आज पाटलीपुत्रा सीट से बीजेपी के सांसद हैं, श्याम रजक जेडीयू के नेता हैं और बिहार सरकार के मंत्री हैं, पप्पू यादव ने अपनी पार्टी बनायी है और 2019 का लोकसभा चुनाव मधेपुरा से हार गये हैं। लालू ने अपनी किताब में यह बात बिल्कुल ठीक लिखी है कि वैसे नेताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिन्होंने लालू का साथ छोड़कर दूसरी पार्टियों का रूख किया। हांलाकि शिवानंद तिवार ी आरजेडी में वापस लौट चुके हैं और आज आरजेडी के कद्दावर नेताओं में से एक है। वायदे के मुताबिक लालू की किताब से दिलचस्प किस्से कहानियों को निकालकर हम यूं हीं परोसते रहेंगे।
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