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महागठबंधन का नेतृत्व करना चाहते हैं उपेन्द्र कुशवाहा, तेजस्वी ने किया किनारा

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महागठबंधन का नेतृत्व करना चाहते हैं उपेन्द्र कुशवाहा, तेजस्वी ने किया किनारा

सिटी पोस्ट लाइव : उपेन्द्र कुशवाहा ने NDA सरकार की नीतियों के खिलाफ महागठबंधन का धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया था लेकिन उजागर हो गया नेत्रित्व को लेकर महागठबंधन के बीच चल रहा घमाशान. इस कार्यक्रम का आयोजन उपेन्द्र कुशवाहा ने किया था. वहीँ नेत्रित्व भी कर रहे थे. इसके पहले भी उपेन्द्र कुशवाहा ने कर्पूरी जयंती जयंती के बहाने पटना के बापू सभागार में महागठबंधन के सभी दलों के शीर्ष नेताओं को एक मंच पर लाया था. इसबार भी NDA सरकार के खिलाफ आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन कुशवाहा ही कर रहे थे. महागठबंधन की एकता को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा की सक्रियता को RJD के नेता तेजस्वी यादव संदेह की नजर से देख रहे हैं.उनको लगता है कि कुशवाहा महागठबंधन का नेत्रित्व की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं.सूत्रों के अनुसार यहीं वजह है कि तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी ने कुशवाहा के इस मार्च से दुरी बना ली.

उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा बुधवार को पटना में आयोजित महागठबंधन (Grand Alliance) के आक्रोश मार्च में गठबंधन के तमाम नेता पहुंचे लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav)  नहीं पहुंचे.इतना ही नहीं उनकी पार्टी का कोई नेता और कार्यकर्त्ता नहीं पहुंचा.इस मार्च में RJD  का कोई न बैनर पोस्टर भी नहीं था. महागठबंधन के आक्रोश मार्च को उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व करना भी गठबंधन के भीतर अंदरूनी गुटबाजी के बड़ा कारण माना जा रहा है.

पटना के गांधी मैदान से यह मार्च शुरू हुआ जो जिला समाहरणालय तक पहुंचा. इस आक्रोश मार्च में गठबंधन के कई नेता शामिल रहे. कांग्रेस से अध्यक्ष मदन मोहन झा, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी, वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे. आक्रोश मार्च का नेतृत्व रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने किया.

गठबंधन के आक्रोश मार्च में जहां घटक दलों के बड़े नेता मौजूद रहे वहीं न सिर्फ तेजस्वी यादव बल्कि आरजेडी का ना तो कोई झंडा और ना ही कोई बैनर पोस्टर दिखाई पड़ा. आरजेडी की तरफ से प्रतीकात्मक रूप से सिर्फ प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी मौजूद रहे. उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में हुए इस आक्रोश मार्च में आरजेडी के किनारे रहने से कई सवाल खड़े हुए.

तेजस्वी के साथ आरजेडी का किसी भी कार्यकर्ता के मार्च में शामिल नहीं होने को लेकर किये जा रहे सवाल से गठबंधन के नेता भी बचते दिखे. तेजस्वी की गैरमौजूदगी के बारे में वीआईपी नेता मुकेश सहनी ने तो खुलकर कह दिया कि तेजस्वी के नहीं शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. महागठबंधन के आक्रोश मार्च में तेजस्वी यादव के नहीं पहुंचने का सबसे बड़ा कारण उपेंद्र कुशवाहा का नेतृत्व माना जा रहा है. एक तरफ जहां तेजस्वी खुद नेता प्रतिपक्ष हैं और अगले विधानसभा में मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं तो उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व में गठबंधन के मार्च में शामिल होकर खतरा मोल नहीं लेना चाहते.

सूत्रों के अनुसार विधान सभा उप-चुनाव के रिजल्ट के बाद तेजस्वी यादव का मनोबल बढ़ गया है वहीँ जीतन राम मांझी कमजोर साबित हुए हैं. मुकेश सहनी एक विधान सभा में 25 हजार से ज्यादा वोट लाकर बहुत महत्वकांक्षी हो गए हैं.यहीं वजह है कि तेजस्वी यादव जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं.सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव कांग्रेस को तो साथ लेकर चलाना चाहते हैं लेकिन ज्यादा सीटों की मांग पर उसे भी छोड़ अकेले चुनाव मैदान में उतर सकते हैं.

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