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नीतीश की जगह पाने के लिए अपनी पार्टी RLSP को विस्तार देने में जुटे उपेंद्र कुशवाहा

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नीतीश की जगह पाने के लिए अपनी पार्टी RLSP को विस्तार देने में जुटे हैं उपेंद्र कुशवाहा

सिटी पोस्ट लाइव : सबके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर क्यों उपेन्द्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई बताते हैं और कभी सबसे ज्यादा तीखा हमला उनके ऊपर कर देते हैं. उनके DNA पर सवाल उठा देते हैं. दरअसल, उपेन्द्र कुशवाहा की नजर सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है. लोक सभा चुनाव में वो ज्यादा सीटों की मांग केवल इसलिए कर रहे हैं कि आगामी विधान सभा चुनाव में उनकी दावेदारी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर सुनिश्चित हो. कुशवाहा को ये बखूबी पता है कि वो मुख्यमंत्री एनडीए के साथ रहकर ही बन सकते हैं. महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद की वेकेंसी दूर दूर तक नहीं है. इसलिए वो लाख धमकी एनडीए को दें कि महागठबंधन के साथ चले जायेगें, रहेगें NDA के साथ ही.

लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए जरुरी है नीतीश कुमार की तरह पार्टी को विस्तार देना. ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना और जीतना. उपेन्द्र कुशवाहा लोक सभा चुनाव में दबाव बनाकार अपनी पार्टी को विधान सभा चुनाव में ज्यादा सीटें देने के लिए मना लेगें .अगर ऐसा हुआ तो मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी बढ़ जायेगी. नीतीश कुमार पिछले 15 साल में लगातार 14 साल तक मुख्यमंत्री बने रहे हैं. वैसे भी नीतीश कुमार बीजेपी की पसंद कम मजबूरी ज्यादा हैं. जैसे ही उसे कोई विकल्प मिलेगा ,उन्हें किनारे लगाने में BJP एक मिनट की देर नहीं करेगी. उपेन्द्र कुशवाहा ये सारी बातें बखूबी समझते हैं. इसलिए नीतेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलने और बीजेपी पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के साथ साथ वो नरेन्द्र मोदी के नाम का माला जपते नजर आते हैं.

उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू की तर्ज पर अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के विस्तार में जुटे हुए हैं. अभी इसकी शुरुवात वो मध्य प्रदेश से कर रहे हैं. इस माह की 28 तारीख को होने वाले चुनाव के लिए रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों 66 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर BJP की चिंता भी बढ़ा दी है.मध्य प्रदेश रालोसपा अध्यक्ष डॉ. राम कुमार सिंह कुशवाहा के मुताबिक, 20 और उम्मीदवारों के नामों को राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंजूरी प्रदान कर दी है. उनके मुताबिक, रालोसपा मध्य प्रदेश में सौ से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.यह पहला मौका होगा जब एनडीए के दो घटक दल- जेडीयू- और रालोसपा, बिना किसी से तालमेल किए चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे. इससे पूर्व केवल जेडीयू ही अपने बूते  गुजरात चुनाव लड़ा था. डॉ. कुशवाहा ने बताया कि मध्य प्रदेश में कुशवाहा मतदाताओं की संख्या बिहार से भी अधिक है. अगर उपेन्द्र कुशवाहा यहाँ अपनी पार्टी के पक्ष में कुशवाहा वोटरों को गोलबंद करने में कामयाब रहते हैं तो बिहार में उनका काम बहुत आसान हो जाएगा.

230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में इस समय चार कुशवाहा विधायक हैं. इनमें से तीन BJP से हैं, जबकि एक कांग्रेस की टिकट पर जीते हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को 6.29 प्रतिशत वोट आए थे, जबकि बसपा मध्य प्रदेश में बहुत सक्रिय भी नहीं थी. वहीं निर्दलीय एवं अन्य के हिस्से में 12.45 प्रतिशत वोट आए थे. ऐसे में अगर रालोसपा मेहनत करेगी तो मध्य प्रदेश में वह भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती है.अगर मध्य प्रदेश में उसने अपनी ताकत दिखाई तो कुशवाहा देश के कुशवाहा नेता बन जायेगें फिर वो बिहार में बीजेपी की सबसे ज्यादा जरुरत बन जायेगें.

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