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उपेंद्र कुशवाहा ने ‘खीर पॉलिटिक्स ‘ को दिया सोशल इंजीनियरिंग का तड़का

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सिटी पोस्ट लाइव : रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी खीर पॉलिटिक्स में सोशल इंजीनियरिंग का तड़का दे दिया है. उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी खीर पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वो बिहार के हर जिले में पैगाम-ए-खीर का आयोजन करेंगे. इस आयोजन में अलग-अलग जातियों के लोग अपने तरीके से खीर बनाने में मदद करेंगे और इसे आगामी चुनाव में परोसा भी जाएगा.

‘स्वादिष्ट खीर’ पकाने का बयान देकर एनडीए के बीच खलबली मचा देनेवाले  राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अब इसे और आगे बढ़ाने का फैसला किया हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “मैंने खीर बनाने की बात समाज के सभी वर्गों को जोड़कर एक संदेश देने की कही थी. हम चाहते हैं कि वो मैसेज गांव-गांव तक फैले. हमलोग 25 सिंतबर से पटना से पैगाम-ए-खीर कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे. बाद में इसे जिला, ब्लॉक और गांव स्तर तक ले जाएंगे. ये सतत और सामाजिक कार्यक्रम होगा.”

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि खीर पकाने में सभी जाति बिरादरी के लोगों का योगदान होगा. खीर में यदुवंशी यानि कृष्णवंशी के लोग दूध,  कुशवंशी यानि रामवंशी के लोग चावल डालेंगे. ब्राह्रमण समाज के लोग गुड़ या चीनी डालेंगे. अतिपिछड़ा समाज के लोग पंचमेवा और दलित भाई तुलसी का पत्ता डालेंगे और फिर खीर तैयार होने पर मुसलमान का दस्तरखान लगाकर सभी लोग मिलकर खीर खाएंगे क्योंकि दस्तरखान पर बैठने वाला ना कोई बड़ा होता और ना ही कोई छोटा.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी दलित-अतिपिछड़ा अधिकार सम्मेलन का आयोजन करेगी. इस सम्मेलन की शुरुआत एक अगस्त 2018 से भोजपुर से किया जाएगा और 10 अक्टूबर 2018 को मुंगेर में समाप्त होगा. कार्यक्रम के जरिए पिछड़ों के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे.रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण से किसी वर्ग को नुकसान नहीं होता है. दक्षिण के राज्यों में सबसे ज्यादा आरक्षण है और ये राज्य ही सबसे ज्यादा विकसित हैं. आरक्षण को लेकर लोगों में गलत धारणा बनी है.

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