उपेन्द्र कुशवाहा और RJD के कांति सिंह आमने-सामने, पूछा- कितने दिन के मेहमान?
सिटी पोस्ट लाइव : पिछले लोक सभा चुनाव में आमने सामने रह चुके रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा और आरजेडी नेत्री कांति सिंह जब एक कार्यक्रम में आमने सामने हुए तो पुरानी लड़ाई की याद ताजा हो गई. दरअसल,रोहतास जिला के नोखा में आयोजित एक कार्यक्रम में आज उपेंद्र कुशवाहा तथा कांति सिंह एक ही कार्यक्रम में आमने-सामने आ गए. दोनों एक ही लोकसभा क्षेत्र काराकाट से पिछले चुनाव में उम्मीदवार थे. कांति सिंह काराकाट से आरजेडी उम्मीदवार थी और उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें एक लाख से अधिक मतों से हराया था. अब जब उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन में आ गए हैं और काराकत से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, कांति सिंह बेटिकट हो जाने के डर से बेहाल हैं.
कान्ति सिंह अपनी पीड़ा को परदे में नहीं रख पायीं . पत्रकारों ने जैसे ही उनसे पूछा कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए का बिहार में खाता भी नहीं खुलने देने का दावा कर रहे हैं तो उनका दर्द जुबां पर आ गया.उन्होंने पत्रकारों को उपेंद्र कुशवाहा से ये सवाल पूछने की सलाह दे दी कि वो खुद कितने दिन तक महागठबंधन में रहेंगे, ये तो बताये. दरअसल, उपेन्द्र कुशवाहा की महागठबंधन में एंट्री ने कई लोकसभा क्षेत्र के समीकरण को बिगाड़ दिया है. टिकट कटने के डर से उस क्षेत्र के RJD नेता असहज महसूस कर रहे हैं.RJD की वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह भी उनमे से एक हैं.
कांति सिंह आरजेडी की बरिष्ठ नेत्री हैं .वो पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं.वर्तमान में महिला आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.वो अब पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर खुद सवाल उठा रही हैं और पत्रकारों से कह रही हैं कि आप लोग कुशवाहा से सवाल पूछिए कि वह महागठबंधन में आखिर कितना दिन रहेंगे? जाहिर है कुशवाहा की भी चुनौती बढ़ेगी. कांति सिंह जैसे RJD नेता कुशवाहा को हारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगें. अगर कुशवाहा ने CM पद की महत्वकांक्षा पाली तो लालू यादव भी उन्हें सबक सिखाने की ठान सकते हैं. वैसे भी कुशवाहा सीधे महागठबंधन में आने की बजाय कांग्रेस के जरिये आये हैं.
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