सिटी पोस्ट लाइव : बिहार पंचायत चुनाव तैयारियां पूरी तेजी के साथ चल रही है. इसे लेकर मार्च में अधिसूचना जारी होने और अप्रैल-मई में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. लेकिन अभी से ही इसे लेकर होड़ मची हुई है. बिहार में इस बार पंचायत चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल की उच्च स्तर पर जांच भी चल रही है. वहीं जिला पंचायती राज कार्यालय के मुताबिक इस बाबत कोई निर्देश या जानकारी अब तक नहीं मिली है. बता दें पंचायत चुनाव लड़ने वाले भावी उम्मीदवार लगातार अपने गांव में अभी से ही घूम रहे हैं. लोगों की समस्याएं जान रहे हैं. आने वाले दिनों में गांव के लोगों के लिए क्या करेंगे ये भी बता रहे हैं.
यही नहीं ये लोग अभी से ही सोशल मीडिया पर भी भोकाली देने में लग गए हैं. मानो ये कोई पंचायत का चुनाव नहीं लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले हैं. भावी उम्मीदवारों ने अपने पक्ष में माहौल बनाने में पूरी ताकत झोक रखा है. इस बार पंचायत चुनाव लड़ने वाले लोगों में सबसे अधिक युवा वर्ग शामिल है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि पंचायत चुनाव लड़ने के लिए लोग इतने उत्साहित क्यों है. खासकर युवा मुखिया क्यों बनना चाहते हैं. जानकार बताते हैं कि पंचायत चुनाव लड़ने वालों के बीच समाज सेवा, रसूख के साथ निर्माण योजनाओं में कमीशन और सरकारी भत्ते का खूब आकर्षण हैं.
इसके अलावा पद पर रहते हुए दुर्घटना या किसी कारण वश निधन होने पर पांच लाख रुपये अनुग्रह अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसमें आपराधिक, प्राकृतिक, आपदा, हिंसात्मक घटना आदि भी शामिल है. गौरतलब है कि मुखिया को मासिक भत्ता 2500 रुपये ही मिलते हैं, लेकिन जो उपरी कमाई करते हैं वो सांसद और विधायकों के वेतन से कम नहीं होता. यही वजह है कि मुखिया बनने की होड़ बिहार ने अभी से ही देखी जा रही है.
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