सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा है कि वन पर अधिकार को लेकर आदिवासी समाज वर्षां से संघर्ष करते रहे है और ब्रिटिश शासनकाल में ही पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कानून बनाये गये। डॉ0 रामेश्वर उरांव गुरुवार को लोहरदगा में आयोजित 72वां वन महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू भी उपस्थित थे।
डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने कहा कि आजादी के पहले जंगल पर सरकार का अधिकार नहीं होता था, स्थानीय राजाओं और जमींनदारों का अधिकार था। छोटानागपुर के इलाके में रामगढ़ राजा का राज था, 1927 के पहले तक क्षेत्र के जंगल पर अंग्रेजों का अधिकार नहीं था, बल्कि रामगढ़ राजा का अधिकार था। 1927 में ब्रिटिश शासनकाल में वन संरक्षण को लेकर पहली बार भारतीय वन कानून बना, जिसके तहत जंगल को बचाने का प्रयास शुरू किया, रिजर्व फॉरेस्ट और प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट के माध्यम से वन और जंगल में रहने वाले वन्य प्राणी की सुरक्षा का काम शुरू किया।
लेकिन इसके बावजूद जंगल पर जनजातीय समाज के अधिकार को लेकर सवाल उठते रहे, जिसके कारण 1992 में वन अधिकार कानून भी बना। इससे पहले सारंडा के रिजर्व फॉरेस्ट में रहने वाले कई लोगों को जंगल से बाहर कर दिया गया। डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि परिस्थितियां बदलती गयी और अब दुनिया भर में वन और पर्यावरण संरक्षण की बात हो रही है। इसके लिए जहां नये पेड़-पौधे लगाने की जरुरत है, साथ ही पुराने पेड़ को भी बचाने के लिए सभी को आगे आना होगा।
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