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कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में मनरेगा व खाद्य सुरक्षा कानून की नींव रखी गयी थी: उरांव

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि 1885 में पार्टी की स्थापना के बाद 1886 में आयोजित दूसरे अधिवेशन में ही गरीबी उन्मूलन के खिलाफ प्रस्ताव लाकर मनरेगा और खाद्य सुरक्षा की बुनियाद रखी गयी थी, जबकि दसवें अधिवेशन में  कपास टैक्स का विरोध कर किसान हितैशी इरादे जाहिर किये गये थे। उरांव ने बताया कि देश की आजादी के लिए अपने संघर्षों, इतिहास और राष्ट्र निर्माण में योगदान को लेकर ‘धरोहर’ नाम से वीडियो श्रृंखला के तहत आज जारी दूसरी कड़ी में गरीबी उन्मूलन और किसान हित को लेकर किये गये कार्यां में बारे में पूरी जानकारी दी गयी है।

डॉ. उरांव ने बताया कि धरोहार नाम से जारी पहली कड़ी में कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य और भारत माता की आजादी के पवित्र लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी गयी थी। आजादी की ये लौ कांग्रेस के आने वाले अधिवेशनों में लगातार बढ़ती गयी। 1885 में कांग्रेस का पहला सत्र मुंबई में आयोजित की गयी, इसकी अध्यक्षता उमेश चन्द्र बनर्जी ने 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की। पहले अधिवेशन में विधानमंडल में भारतीयों की भागीदारी बढ़ाने की मांग करते हुए भारतीय प्रशासन के कामकाज के लिए आयोग की नियुक्ति के साथ भारत परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही सैन्य खर्च में कमी के साथ सिविल सेवा में सुधार की मांग रखी गयी। 1886 में दादा भाई नौरोजी की अध्यक्षता में कोलकाता में आयोजित दूसरे अधिवेशन में पहले अधिवेशन के 72 प्रतिनिधियों के मुकाबले 434 लगभग छह गुणा ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

इस अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा गरीबी उन्मूलन के बारे में प्रस्ताव रखने को मनरेगा तथा खाद्य सुरक्षा कानून जैसी योजनाओं की वैचारिक नींव माना जा सकता है। कोलकाता के इसी अधिवेशन में मताधिकार जैसी बड़ी मांग सबसे पहले सामने आयी। 1887 में बदरूद्दीन तैयबजी की अध्यक्षता में हुए अधिवेशन में आर्म्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। 1889 में मुंबई अधिवेशन में 21वर्षीय मताधिकार का प्रस्ताव पारित किया गया। 1890 में कोलकाता अधिवेशन में पहली महिला ग्रेजुएट कादिम्बनी गांगुली ने हिस्सा लिया। 1894 के अधिवेशन में कांग्रेस ने किसानों पर कपास टैक्स का खुलेआम विरोध करते हुए किसानों के हितों की बात की थी।

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