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ललन सिंह बताएं, RJD से क्या डील हुई थी:उपेन्द्र कुशवाहा.

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सिटी पोस्ट लाइव :JDU के बागी नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में JDU के बागी नेताओं-कार्यकर्ताओं की बैठक कर JDU के शीर्ष नेतृत्व को साफ-साफ चुनौती दे दी है. उपेन्द्र कुशवाहा ने सिन्हा लाइब्रेरी में बैठक बुलाई थी और इस बैठक का उद्देश्य बताया था कि जेडीयू को बचाना है. इसी को लेकर उन्होंने आह्वान किया था जिसके बाद पूरे बिहार से उनके समर्थक पहुंचे. बैठक में जिस पोस्टर पर सबका ध्यान जा रहा था उसमें जो तस्वीर लगी थी वो बेहद महत्वपूर्ण थी. पोस्टर में उपेन्द्र कुशवाहा के साथ नीतीश कुमार को जगह मिली साथ ही शरद यादव, जॉर्ज फ़र्नाडिस की भी तस्वीर लगी हुई थी, इसके अलावा किसी और को जगह नहीं मिली.

JDU के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने मीडिया से बताया कि प्रदेश स्तर के कई सचिव, महासचिव और विभिन्न प्रकोष्ठों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया. जितेंद्र नाथ ने कहा कि बैठक में 54 लोगों ने अपनी बात रखी जो पार्टी के लिए परेशान और चिंतित हैं और कई तो अपनी पीड़ा प्रकट करते हुए रोने लगे.जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जदयू में एक खेमा हावी है जो संगठन को मजबूत करने की बजाय खुद को मजबूत बनाने में लगा है. इसमें कई मंत्री और संगठन के नेता शामिल हैं. जितेंद्रनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि ललन सिंह के कहने पर उन्होंने राजद के साथ समझौता किया तो ऐसे में ललन सिंह को बताना चाहिए कि राजद के साथ क्या कुछ डील हुई है क्या.

जितेंद्र नाथ ने बताया कि नीतीश कुमार के लिए हमें दर्द है लेकिन आज वह खुद फैसले नहीं ले रहे हैं. जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि आज फैसला पार्टी में बैठा एक खास धड़ा ही ले रहा है. जितेंद्र नाथ ने कहा कि आज पार्टी से सवर्ण वोटर अलग हो रहे हैं जबकि सरकार में विजय चौधरी, संजय झा जैसे नेता शामिल हैं. उपेन्द्र कुशवाहा की बैठक पर ललन सिंह ने भी चुटीले अन्दाज में हमला बोला. लखीसराय में एक कार्यक्रम के दौरान जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा बैठक कर रहे हैं वो अधिकृत बैठक नहीं है.

ललन ने कहा कि कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना, कुशवाहा जी ये ना बताए की दिल्ली में बात नहीं बनी शायद. किससे-किससे मुलाकात हुई. उन्होंने ये भी कहा कि यह कोई आधिकारिक बैठक नहीं है. पार्टी की बैठक बुलाने का अधिकार सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष को है. बहरहाल अब नजरें टिकी हुई हैं जदयू के शीर्ष नेतृत्व पर कि वो उपेन्द्र कुशवाहा की इस बैठक के बाद क्या फ़ैसला लेता है.

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