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अब काला झंडा और विरोध प्रदर्शन से सुशील मोदी का पड़ा पाला, सीतामढी में हुआ विरोध

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अब काला झंडा और विरोध प्रदर्शन से सुशील मोदी का पड़ा पाला, सीतामढी में हुआ विरोध

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में एनडीए के नेताओं का जनता के बीच जाना मुश्किल हो गया है. एनडीए के नेता जहाँ कहीं भी जाते हैं, सवर्ण समाज के लोगों के विरोध का उन्हें सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी नेता और सांसदों को लगातार सवर्ण सेना के द्वारा काले झंडे दिखाए जा रहे हैं.उनके खिलाफ नारेबाजी की जा रही है. उनके ऊपर काली स्याही फेंकी जा रही है. जहाँ भी नेता जा रहे हैं, इस विरोध पर्दर्शन के कारण उन्हें उल्टे पावन भागना पड़ रहा है. अश्वनी चौबे के विरोध से शुरू हुआ विरोध जिसके लपेटे में सुशिल मोदी तक आ चुके हैं.

बिहार के सीतामढ़ी जिलेमें  किसी कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे  डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को भी ऐसे ही विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. उन्हें काले झंडे दिखाए गए. मुर्दाबाद के नारे लगाए गए. उनका घेराव सवर्ण सेना के लोगों द्वारा किया गया. स्थिति इतनी ख़राब हो गई कि वो गाडी से नीचे नहीं उतर पाए. उन्हें उल्टे पावन भागना पड़ा. प्रशासन ने लोगों के हाथों से काले झंडे को छीनने का प्रयास किया लेकिन विरोध को दबा नहीं पाए.

सवर्ण सेना के लोगों ने सुशील मोदी का सीतामढ़ी में विरोध करने का एलान कर दिया था. सुशील कुमार मोदी शिवहर जा रहे थे. शिवहर जिले का स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. जब सुशील मोदी अपने गाड़ी के काफिलों के साथ जा रहे थे तो सीतामढ़ी के जानकी स्थान पर उनको घेर लिया गया और काले झंडे दिखाए गए.

शुक्रवार को लखीसराय में सवर्ण सेना के युवाओँ ने जेडीयू के जलसंसाधन मंत्री का घेराव किया एवं काला झण्डा दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया. मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह जदयू के दलित महादलित सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए लखीसराय जा रहे थे.कांग्रेस के सांसद अखिलेश सिंह के साथ भी ऐसा हो चूका है. पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लिए भी गोपालगंज में विरोध देखने को मिला था. प्रोग्राम से पहले ही उनके पोस्टर पर कालिख पोत दी गई थी. स्मृति ईरानी के जाने के बाद भी वहां पर बवाल देखने को मिला. सेना के लोगों ने घेराव किया और प्रदर्शन करने की कोशिश की. जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनकी जमकर पिटाई भी की. बाद में पुलिस बचाओ से मामला शांत हुआ.

इससे पहले मुजफ्फरपुर में भी केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को विरोध का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा भागलपुर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को भी निशाना बनाया गया था. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय और बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी को भी कला झंडा दिखाया गया था.

अब तो इस विरोध प्रदर्शन को लेकर राजनीति भी होने लगी है. बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि ये सबकुछ कांग्रेस के ईशारे पर हो रहा है. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह का विरोध किया गया, इस आरोप में दम नहीं दीखता है. जाहिर है सवर्ण समाज के निशाने पर केवल दलित या पिछड़े समाज के नेता नहीं हैं. उनके निशाने पर वो तमाम नेता है, जो सवर्णों के आरक्षण के विरोधी हैं. SC/ST एक्ट के समर्थन में हैं.

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