सिटी पोस्ट लाइवः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर यह आरोप लगातार लगता रहा है कि उन मौकों पर नदारद रहते जब बिहार में कोई आपदा होती है या फिर उनकी पार्टी को उनकी जरूरत होती है। तेजस्वी यादव का अज्ञातवास कई बार आरजेडी पर भारी पड़ा है। तेजस्वी के राजनीतिक विरोधी उन पर हमलावर रहे हैं। बाढ़, चमकी बुखार और जलजमाव जैसी आपदाओं में नदारद रहने वाले तेजस्वी यादव के मिजाज इन दिनों बदल हुए हैं। अपने उपर लगने वाले आरोपों से बेपरवाह तेजस्वी यादव बीजेपी-जेडीयू के खिलाफ मैदान में हैं और महामारी के दौर में भी मैदान मारने की कोशिश में जुटे हैं। यह ठीक है कि हाल के दिनों में उनकी सक्रियता की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ी है लेकिन तेजस्वी संक्रमण के खतरे से बेपरवाह लगातार अपना एक्शन दिखा रहे हैं। बिहार विधान सभा चुनाव की ओर बढ़ चला है तेजस्वी की राह आसान नहीं है उनके सामने कई चुनौतियां हैं।
आरजेडी में बड़ी टूट हुई है और पार्टी के 5 विधान पार्षद जेडीयू में चले गये हैं। राजद पर एक और टूट का साया मंडरा रहा है और यह कहा जा रहा है कि कई विधायक भी दूसरे दल का दामन थामेंगे। महागठबंधन के सहयोगियों को तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार नहीं है और सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मुकाबला एनडीए से है जिसके नेतृत्वकर्ता नीतीश हैं जिनके मुकाबले बिहार में कोई चेहरा नजर नहीं आता तेजस्वी कितना टक्कर दे पाएंगे यह सवाल महागठबंधन के अंदर भी उठता रहा है? बिहार के हालिया घटनाक्रमों से यह साफ नजर आता है कि तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले इन चुनौतियों से मुकाबले की रणनीति पर काम कर रहे हैं। जेडीयू-बीजेपी वर्चुअल मोड में है जबकि तेजस्वी मैदान में हैं, ताबड़तोड़ प्रेस काॅन्फ्रेंस कर रहे हैं, राजभवन का चक्कर भी कइ बार लगा चुके हैं.
आज कार्यकर्ताओं के साथ साइकिल लेकर सड़क पर थे। डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ उन्होंने साइकिल रैली निकाली। तेजस्वी के ये पैतरे कितने काम आएंगे वो तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि कई मौकों पर अपनी पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाले तेजस्वी यादव आरजेडी की ताकत बनते नजर आ रहे हैं और चुनाव से पहले उन्होंने मोर्चा संभाल लिया है या यूं कहे कि कुछ सेमिफाइनल (विधानसभा उपचुनाव) जीतने के बाद फाइनल (विधानसभा चुनाव) से पहले ठीक तरीके कप्तानी संभाल ली है।
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