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स्मार्ट शहर के चक्कर में गांवों को तहस-नहस किया जा रहा : सुदेश महतो

स्वाभिमान यात्रा के सातवें दिन डुमरी होते हुए सिंदरी पहुंची पदयात्रा

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स्मार्ट शहर के चक्कर में गांवों को तहस-नहस किया जा रहा : सुदेश महतो 

सिटी पोस्ट लाइव : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि न्यू झारखंड और शहरों को स्मार्ट बनाने के चक्कर में गांवों को तहस-नहस किया जा रहा है। योजनाएं कैसे दम तोड़ती है और जन कल्याण कार्यक्रम जरूरतमंद को किस कदर पीड़ा पहुंचाती है, कोई चौपाल में बैठकर जान सकता है। स्वराज स्वाभिमान यात्रा के सातवें दिन डुमरी विधानसभा क्षेत्र के रामनगर, कोरियाडीह, निचितपुर, गलागी, नगरी, निमियाघाट करमाटोंगरी, केंदुआडीह में पदयात्रा और कई जगहों की सभी में सुदेश महतो ने लोगों ये साझा संवाद करते हुएदिखे ये बातें कही। उन्होंने कहा कि सियासत और सरकार यह दावा कर सकती है कि अलग राज्य गठन के बाद झारखंड में बहुत बदलाव आया, विकास की गति तेज हुई पर गांवों की बड़ी आबादी अब भी सिस्टम के भेदभावपूर्ण और आराम तलबी रवैये से परेशान दिखता है।  शहरों को स्मार्ट बनाने के चक्कर में स्वराज और सत्ता के विकेंद्रीकरण के उद्देश्य हाशिए पर छोड़े जा रहे हैं। गांवों के चौपाल में कोई आम आदमी की पीड़ा महसूस कर सकता है। सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को पारदर्शिता के साथ लागू करने की जवाबदेही तय नहीं होने से आम आदमी का हक मारा जा रहा है। पेंशन को लेकर बुजुर्गों के आंसू पोछने की जरूरत है। इनके अलावा डोभा योजना कितना कारगर साबित हुई है सरकार चाहे, तो जनसुनवाई कराकर  इसकी रिपोर्ट जारी करे, ताकि पता चल सके कि सिस्टम जमीन पर कितना काम कर पाता है। उन्होंने कहा कि ने राजनीति उसूलों के तहत करते हैं और स्वराज स्वाभिमान यात्रा में जिन विषयों को उठाने की कोशिश की उसे गांव-चौपाल का साथ मिल रहा है। ये बातें भी सामने आया रही है कि सरकार पंचों की कभी नहीं सुनती और न ही पंचायत की। सचिवालय में बैठकर और आंकड़े की बाजीगरी दिखाकर इंडैक्स रिपोर्ट, रैकिंग दिखाकर अपना पीठ थपथपाया जा रहा है। सात दिनों की पद यात्रा में उन्होंने देखा और सुना कि कई गांव ऐसे हैं जिन्होंने कभी ब्लॉक और जिले के अफसरों को देखा तक नहीं है। सेविका, पारा टीचर, सहिया, रसोईया और पंचायत का छोटा प्रतिनिधि , प्रग्या केंद्रों ही उनके लिए सब कुछ है। तब लोगों के असली सवाल न सरकार के पास न साहबों के पास पहुंच पाते हैं। उन्होंने एक आंदोलन खड़ा करने की शुरुआत की है और यह जन आंदोलन का शक्ल अख्तियार कर रहा है इससे उनका उत्साह बढ़ा है। बहुत जल्दी गांव के लोगों की आवाज वह ताकत बनेगी जिससे राजनीति का विषय भी बदलेगा। पदयात्रा में डॉ देवशरण भगत, डॉ लंबोदर महतो, टिकैत महतो, यशोदा देवी, दामोदर महतो आदि शामिल थे।

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