पटना के कई मॉल-बिल्डिंग का मालिकाना हक़ अब शिया वक्फ बोर्ड के पास
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजधानी पटना के कई माल मालिकों के लिए एक बहुत बुरी खबर है.राजधानी पटना के डाक बंगला चौराहे के पास बने कई बड़े माल और बिल्डिंगों को लेकर कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है. ये फैसला ईन प्राइम प्रोपर्टीज की जमीन के मालिकाना हक को लेकर फैसला आया डाकबंगला चौराहा स्थित कौशल्या स्टेट, सेंट्रल मॉल, विशाल मेगा मार्ट, टाईम्स ऑफ इंडिया, रिजवान पैलेस, फ्रेजर रोड स्थित वन मॉल, बिल्डिंग का मालिकाना हक अब बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के अधीन चला गया है. अब बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड इन प्रोपर्टीज को हासिल करने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखेगा.
बिहार राज्य शिया वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन इरशाद अली आज़ाद ने कहा कि इन प्रोपर्टीज से संबंधित कई मामले पटना हाई कोर्ट, बिहार वक्फ़ ट्रिब्यूनल और अन्य अदालतों में चल रहे हैं, जिनपर फैसले आये हैं और आगे भी आयेंगे.बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन इरशाद अली आजाद ने कहा कि इन बिल्डिंग में जो भी दुकानें हैं, उसे फिर से शिया वक्फ बोर्ड के नियम के हिसाब से लीज पर लेना होगा. अगर कोई दुकानदार फिर से लीज पर नहीं लेगा, तो उसे वो जगह खाली करनी होगी. प्रावधानों के तहत वक्फ की जमीन पर कॉमर्शियल काम के लिए इसे 30 सालों के लिए लीज पर दिया जा सकता है.
गौरतलब है कि पटना के एसपी वर्मा रोड, फ्रेजर रोड और डाकबंगला चौराहे की 2500 करोड़ रूपये से अधिक की बेशकीमती जमीन पर हजारों करोड़ के मॉल और बहुमंजिली ईमारतें बन गई हैं. इनको दोबारा अपने कब्जे में लेने के लिए शिया वक्फ बोर्ड अभियान में जुटा है. हाल में ही फ्रेजर रोड स्थित फजल इमाम कॉम्पलेक्स मामले में बोर्ड को कामयाबी मिली थी. अब लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने शिया बोर्ड को रिजवान पैलेस, वन मॉल, कौशल्या स्टेट, सेंट्रल मॉल, विशाल मेगा मार्ट, टाईम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग का मालिकाना हक भी दे दिया है.
बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड का गठन साल 1948 में किया गया था. तब बोर्ड के पास बिहार के अलग-अलग हिस्सों में करीब 150 बीघा जमीन थी. लेकिन साल 2003 से लेकर 2008 तक बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड में कोई चेयरमैन नहीं था. इसी दौरान साल 1931 में हसन इमाम की मोतअल्ली बनी पत्नियों के उत्तराधिकारियों ने बाद में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रसूखदारों को ये प्राइम प्रॉपर्टीज औने-पौने दामों पर बेचनी शुरू कर दी. जबकि जमीन की खरीदने और बेचने का अधिकार उनके पास नहीं था.
अब बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड अरबों रूपये की वक्फ की संपति को दोबारा अपने कब्जे में करने के अभियान में जुटा है. अदालतों ने भी ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हसन इमाम द्वारा वक्फनामे में लिखी गई संपतियों को वक्फ़ करार दे दिया है.जाहिर है अब अनंत सिंह की मुश्किलें और भी बढ़ेगी क्योंकि सेंट्रल माल उनकी ही है.
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