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जातीय जनगणना को लेकर NDA में घमासान, मोदी ने कहा-ये असंभव है

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सिटी पोस्ट लाइव :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जातीय जनगणना को लेकर दिल्ली में दिये गए बयान को लेकर बिहार में सियासत गर्मा गई है. जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार में एनडीए के नेता एकमत नहीं हैं. एक ओर दिल्‍ली में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हर हाल में जातीय जनगणना होनी चाहिए तो दूसरी ओर बिहार में पूर्व डिप्‍टी सीएम व रास सांसद सुशील मोदी ने इसे नकार दिया है.उन्‍होंने कहा है कि केंद्र सरकार के लिए ऐसा कराना असंभव है. राज्‍य सरकार चाहती है तो अपने स्‍तर से करा सकती है. इसके लिए सभी राज्‍य की सरकारें स्‍वतंत्र है. जिस तरह कर्नाटक की सरकार ने जातीय जनगणना कराई. ओडिसा की सरकार भी ऐसा करा रही है. ऐसे में बिहार की राजग सरकार को लगता है कि ऐसा संभव तो करवाए.

गौरतलब है कि दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को इस संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कहा कि हम लोगों ने अपनी बात कही है. हम शुरू से कह रहे हैं जातीय जनगणना होनी चाहिए. जब जातीय जनगणना होगी तभी लोगों के बारे में सही जानकारी मिल पाएगी कि कौन पीछे है, उसे आगे करने के लिए हम लोग निर्णय बेहतर ले सकते हैं.लेकिन बीजेपी द्वारा जातीय जनगणना से इनकार किये जाने के बाद जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस ने सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर हमला बोल दिया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना (Caste Census) पर बीजेपी से अलग होने की अपील करते हुए महागठबंधन (Grand Alliance) को साथ आने का आह्वान किया है. दोनों विपक्षी पार्टियों ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुखर होकर लड़ाई लड़ने की बात कही है.अगर वो दिल से जातीय जनगणना के पक्ष में हैं तो उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए.

गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने दिल्ली में कहा कि 2011 में जातीय जनगणना नहीं हुई थी, वो सोशयो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस (Socio Economic Caste Census) थी. अभी लोग कह रहे हैं कि कई लाख जातियां हैं, तो इसके लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए थी. हर जाति में उपजाति है. पूछने पर लोग उपजाति बोल देते हैं. तो जब जनगणना से पहले ट्रेनिंग होगी तो उपजाति को जाति के साथ जोड़ देंगे. सीएम नीतीश ने कहा कि ऐसी कोई जाति नहीं है जिसमें कोई उपजाति नहीं है. यह जरूरी है कि सब को ठीक से ट्रेनिंग देकर तब जनगणना कराई जाए.इस मुद्दे पर हम सभी लोगों ने मिलकर अपना अनुरोध किया है. लेकिन जो कोर्ट का मामला है वो सोश्यो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस से जुड़ा है. इसका जातीय जनगणना से कोई लेना-देना नहीं है.

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