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बिहार-झारखंड की 244 लड़कियों का जीवन बर्बाद होने से RPF ने बचाया

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सिटी पोस्ट लाइव : ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर लगाम नहीं लग पा रहा है.गरीब परिवार के बच्चों को काम का लालच देकर फंसाया जा रहा है.बच्चों के बचपन के साथ खिलवाड़ तप हो ही रहा है, उनके जीवन को भी खतरे में डाला जा रहा है. बच्चों को घर-परिवार से दूर कर उनसे मजदूरी कराने के लिए दुसरे राज्यों में ले जा रहे बच्चों को अक्सर पुलिस छुड़ा भी लेती है लेकिन कईबार तस्कर कामयाब भी हो जाते हैं.इस साल अप्रैल से अगस्त तक रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा दलालों के चंगुल से छुड़ाए गए 596 बच्चे इसका प्रमाण हैं कि ये रैकेट बड़े पैमाने पर जारी है.

बच्चों के सौदागर हर शहर में स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं, जो इन्हें विभिन्न शहरों में ले जाकर फैक्ट्री आदि में झोंक देते हैं. आरपीएफ द्वारा दी गई जानकारी चौंकाने वाली है. बच्चों को मजदूरी के लिए बड़ी संख्या में बाहर ले जाया जा रहा है.आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त सह महानिरीक्षक एस. मयंक ने बताया कि पूर्व मध्य रेल के विभिन्न स्टेशनों और ट्रेनों से एक अप्रैल से 31 अगस्त तक 596 बच्चों को दलालों के चंगुल से मुक्त कराया गया है. इनमें 352 लड़के और 244 लड़कियां हैं. इस दौरान 35 दलालों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

बच्चों के सौदागर सबसे ज्यादा गया, औरंगाबाद, नवादा, कैमूर आदि क्षेत्रों में सक्रिय हैं. इनकी नजर गरीब परिवारों पर रहती है . दो-चार हजार देकर बच्चों की बेहतर जिंदगी का सब्जबाग दिखा उन्हें जयपुर की चूड़ी फैक्ट्रियों से लेकर दिल्ली, कोलकाता आदि महानगरों में बेच आते हैं. फिर शुरू होता है उनका नारकीय जीवन. पहले ज्यादातर लड़कों को ही ले जाया जाता था, पर अब नाबालिग लड़कियों को भी ले जाया जा रहा है. इनमें अधिसंख्य झारखंड से हैं.लड़कियों से मेहनत मजदूरी करवाने के साथ साथ उनका यौवन शोषण भी किया जा रहा है.

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