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विपक्ष का चेहरा बनेंगे नीतीश कुमार, RJD ने दिया नेत्रित्व का ऑफर

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क्या फिर विपक्ष का चेहरा बनेंगे नीतीश कुमार, RJD ने दिया नेत्रित्व का ऑफर

सिटी पोस्ट लाइव : अभी भी मोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए विपक्ष नीतीश कुमार के चहरे पर ही निर्भर है.आरजेडी (RJD) नेता शिवानन्द तिवारी का कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहने के वावजूद अपने सेक्यूलर क्रेडेंशियल को अबतक बचाने में कामयाब रहे हैं.उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि कि बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)  ही एक ऐसे नेता हैं जो देश के सभी विपक्षी दलों के बीच स्वीकार्य नेता हैं. उन्हें आगे आकर समाजवादी जमात का नेतृत्व करना चाहिए.

चारा घोटाले में जेल में बंद RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav)से हाल ही में मिलने शिवानन्द तिवारी गए थे. शिवानंद तिवारी ने लालू यादव से मुलाक़ात के बाद ही नीतीश को आगे लाने और विपक्ष का नेतृत्व करने का खुला निमंत्रण दिया था. शिवानंद तिवारी ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ बिहार और केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होकर ऐतिहासिक गलती की है. शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने कहा कि ‘चूंकि आज की तारीख में केंद्र में विपक्ष के पास कोई विश्वसनीय नेता नहीं है.उन्होंने कहा कि  इसलिए नीतीश कुमार को राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहिए और सभी विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहिए क्योंकि उन्होंने अभी तक अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखा है’.

शिवानन्द तिवारी ने आगे कहा कि ‘राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी नेतृत्व शून्य है. 35 वर्षों तक नीतीश कुमार को राजनीति में देखा है और मैं ये दावा कर सकता हूं कि उनके पास देश का प्रधानमंत्री बनने की राजनीतिक हिम्मत और क्षमता है. उन्हें एनडीए के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का चेहरा बनना चाहिए.’

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने भी नीतीश कुमार को एनडीए से बाहर निकलने और वैकल्पिक मंच पर काम करने की सलाह दी है. मांझी ने कहा, “ये खास वक्त है कि सभी समान विचारधारा वाले नेता आगे आएं और वर्तमान स्थिति में एक बेहतर विकल्प दें.

सबसे बड़ा सवाल- क्या इसे 2020 के विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Elections 2020) से पहले एक बार फिर से JDU RJD का गठजोड़ हो सकता है? क्या RJD की तरफ से हाथ मिलाने के लिए नीतीश कुमार को  खुला निमंत्रण दिया जा रहा है? नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनावों में राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी.पार्टी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Yadav) की राजनीति से कथित नाराजगी और पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के नेत्रित्व करने में मिली असफलता के बाद सबकी नजर नीतीश कुमार पर ही टिकी है.

गौरतलब है कि तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव और बहन मिसा भारती की दखल-अन्दाजी से परेशान हैं. वो लालू यादव को अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके हैं कि वो पार्टी का नेतृत्व तभी करेगें जब बड़ी बहन मीसा भारती और बड़े भाई तेजप्रताप यादव का दखल न हो.

तेजस्वी शेल कंपनियों और आईआरसीटीसी घोटाले के मामलों के कानूनी दांवपेंच से छुटकारा पाना चाहते हैं. वो राजनीति में नए सिरे से शुरुआत करने से पहले इन मामलों से निपटने में जुटे हैं. ऐसी भी चर्चा है कि तेजस्वी ने अपने खिलाफ दर्ज मामलों में कुछ राहत पाने के लिए एनडीए पर हमले कम कर दिए हैं.सूत्रों के अनुसार पार्टी के अन्दर से पार्टी को संचालित करने के लिए नए कार्यकारी अध्यक्ष की मांग उठने लगी है.एक आरजेडी नेता का कहना है कि लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में सहयोगी दलों के साथ राजनीतिक हालात पर बातचीत करने के लिए कोई नहीं है.

जाहिर है बीजेपी को मात देने के लिए विधानसभा चुनाव् से पहले महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार के नेत्रित्व में विपक्ष को एकजुट करने की उम्मीद लगाए हुए है. जेडीयू ने पहले ही संसद के दोनों सदनों में ट्रिपल तलाक विधेयक और अनुच्छेद 370 का विरोध किया है. पार्टी के पास समान नागरिक संहिता और राम मंदिर को लेकर भी आक्रामक है. ऐसे में विपक्ष को नीतीश कुमार को अपने साथ लाने का एक माकूल माहौल दिख रहा है.

गौरतलब है कि बिहार में भले ही जेडीयू एनडीए का हिस्सा है, लेकिन उसने इस साल चार राज्यों के होनेवाले विधानसभा चुनावों में अलग से चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. 2020 तक एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए नीतीश कुमार ऐड़ी-छोटी का जोर लगाए हुए हैं. बिहार और अरुणाचल प्रदेश में एक मान्यता प्राप्त पार्टी बन जाने के बाद नीतीश कुमार की नजर देश के और राज्यों में पार्टी के विस्तार पर टिकी है.पार्टी सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार राष्ट्रिय राजनीति में दखल देने के पहले हिंदी हार्टलैंड और उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं.वो क्षेत्रीय नेताओं जैसे अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी और नवीन पटनायक से बड़ी रेखा खींचने की कोशिश कर रहे हैं और खास बात ये है कि विपक्ष के पास उनसे बड़ा साफ़ सुथरा चेहरा मोदी के मुकाबले के लिए नहीं है..

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