मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान आरक्षण को लेकर नए सियासी चाल की तरह देखा जा रहा है. अभी तक आरक्षण को लागू रखने या हटाने को लेकर राजनीति हो रही थी. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आबादी के अनुसार आरक्षण की नई बात कहकर एक नया विवाद पैदा कर दिया है.
सिटीपोस्टलाईव:लोक सभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण का नया राग छेड़ दिया है.नीतीश कुमार ने अब आबादी के अनुसार आरक्षण देने की नई बात करते हुए कहा है कि 2021 की जनगणना के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. आबादी के आधार पर आरक्षण देने का नीतीश कुमार का एलान, गरमाई राजनीती. नीतीश कुमार के आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर विपक्ष ने तंज कसना शुरू कर दिया है.
आबादी के आधार पर आरक्षण देने का नीतीश कुमार ने एलान करते हुए बिहार के बगहा में थारू महोत्सव के उद्घाटन के के दौरान कहा कि आदिवासियों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा. वर्ष 2021 में होनेवाली जनगणना के बाद आबादी के आधार पर आरक्षण मिलेगा. अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और अतिपिछड़ा वर्ग के तहत आनेवाली सभी जातियों को भी महादलितों की तरह ही योजनाओं का लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान आरक्षण को लेकर नए सियासी चाल की तरह देखा जा रहा है.वैसे तो आरक्षण को लागू रखने या हटाने के साथ साथ जनसँख्या के आधार पर आरक्षण देने की मांग पुराणी है.लेकिन पहलीबार किसी राजनीतिक दल के किसी बड़े नेता ने आबादी के अनुसार आरक्षण देने की बात खी है.वैसे नीतीश कुमार बिहार में पहले भी नगर निकाय केसाथ साथ सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान कर देश भर में एक नया मिसाल कायम कर चुके हैं.लेकिन यह पहला मौका है जब उन्होंने 2021 की जनगणना के आधार पर आरक्षण देने का एलान किया है.
नीतीश कुमार के इस बयान को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.बीजेपी नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का बचाव कर रहे हैं वहीँ आरजेडी कांग्रेस ने सवाल शुरू कर दिया है.उन्होंने ताज कसते हुए सवाल किया है- क्या मुख्यमंत्री ने यह बयान देने से पहले आरक्षण विरोधी संघ प्रमुख मोहन भागवत से पूछ लिया है ?
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