सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक सभा चुनाव से पहले एक एक मास्टरस्ट्रोक मारा. 2019 में लोकसभा चुनाव और 2020 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) के सरकारी कर्मचारियों को तोहफे का ऐलान कर दिया है. सरकार ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण लागू कर दिया है. पिछले दो सालों से यह मांग लटका हुआ था .
दरअसल, बिहार में दलितों और पिछड़ों को अपने अपने पाले में खींचने के लिए घमशान मचा हुआ है. एनडीए और महागठबंधन दोनों की तरफ से इस तबके को रिझाने की लगातार कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी प्रोन्नति में आरक्षण की वकालत करते रहे हैं. अब कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद इसे अमलीजामा पहना दिया है.
नीतीश सरकार के इस फैसले को 2019 लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है.इस फैसले को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.आरजेडी ने इसे एक चुनावी स्टंट कर्र दिया है. भाई बिरेन्द्र ने कहा कि ये चुनावी जुमला है ,इसका कोई लाभ दलितों-पिछड़ों को नहीं मिलनेवाला. भाई बिरेन्द्र ने कहा कि इसका कोई चुनावी लाभ नीतीश कुमार को नहीं मिलनेवाला है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पांच जून को केंद्र सरकार को कानून के अनुसार कर्मचारियों की निश्चित श्रेणी में प्रमोशन में आरक्षण देने की अनुमति दी थी. इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में प्रमोशन को लेकर मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को तब तक बरकरार रखने को कहा, जब तक कि इस मामले में संविधान पीठ कोई अंतिम फैसला न सुना दे.पिछले दिनों प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा काफी गरमाया था. विपक्ष ने बीजेपी पर इस ऐक्ट के प्रावधानों को कमजोर करने की साजिश का आरोप लगाया था. इस पर बीजेपी को सफाई देनी पड़ी थी कि आरक्षण और दलित समुदाय की सुरक्षा से जुड़े अन्य नियम बने रहेंगे. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राहत नहीं देता है तो सरकार अध्यादेश लाएगी.
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