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एकबार फिर से BJP को डराने लगा है आरक्षण का भूत, सफाई देने में जुटे नेता.

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सिटी पोस्ट लाइव : एकबार फिर से बीजेपी को आरक्षण का भूत सताने लगा है.पिछले विधान सभा चुनाव के पहले RSS प्रमुख के आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर लालू यादव ने सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया था.वो मतदाताओं को ये समझाने में कामयाब रहे थे कि बीजेपी आरक्षण  विरोधी है.उसका लाभ भी उन्हें चुनाव में खूब मिला.नीतीश कुमार के साथ वो सरकार बनाने में कामयाब हो गए थे.इसबार भी विधान सभा चुनाव के पहले आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.SC/ST के आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची मे डालने  की मांग जोर पकड़ती जा रही है.विपक्ष के साथ साथ सत्ता पक्ष के SC/ST विधायक-नेता भी आरक्षण को लेकर गोलबंद होने लगे हैं.

फिर से आरक्षण का भूत बीजेपी को डराने लगा है.बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सफाई देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी आरक्षण की पक्षधर है.उनकी सरकार के रहते आरक्षण कोई ख़त्म नहीं कर सकता.अब बीजेपी के बिहार के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी का बयान भिआरक्षण पर आ गया है.बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी के सीनियर लीडर सुशील मोदी ने कहा  कि बीजेपी के रहते कोई ताकत दलितों और पिछड़ों के आरक्षण के अधिकार को कभी छीन नहीं सकती है. आरक्षण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति व पिछड़ों का मौलिक अधिकार है.डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संविधान के खंड-3 के अन्तर्गत धारा 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का मौलिक अधिकार है.बीजेपी के रहते कोई ताकत इस अधिकार से इन वर्गों को वंचित नहीं कर सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण दिया तो नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई धराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया तथा जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे पुनर्स्थापित किया.

लेकिन तेजस्वी यादव आरक्षण को ख़त्म कर देने की साजिश रचने का आरोप बीजेपी और मोदी सरकार पर लगा रहे हैं.तेजस्वी यादव आरक्षण को इसबार के विधान सभा चुनाव मे भी बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हैं.लेकिन इसबार थोड़ी स्थिति पीछलीबार से अलग है.इसबार सभी दलों के SC/ST नेता इस मुद्दे को उठा रहे हैं.किसी एक राजनीतिक दल को इसका लाभ मिलने की उम्मीद कम है.अगर लालू यादव इस चुनाव में होते तो शायद इसे भी बड़ा मुद्दा बना देते लेकिन उनकी अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव आरक्षण के मुद्दे को किस हदतक बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल कर पाते हैं ये तो चुनाव में ही पता चलेगा.

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