सिटी पोस्ट लाइव :कुशेश्वरस्थान और तारापुर दोनों जगह कांग्रेस का बुरा हाल है. तारापुर में अब तक उसे 658 वोट ही मिल सके हैं. LJP (रामविलास) को 1821 वोट मिले हैं. महागठबंधन तोड़कर अकेले लड़ी कांग्रेस दोनों सीटों पर कुछ खास करती नहीं दिख रही है. कुशेश्वरस्थान में तो कांग्रेस चिराग पासवान की LJP (रामविलास) से भी पीछे हो गई है. वहां कांग्रेस को 3954 वोट मिले हैं तो चिराग पासवान की पार्टी को 4316 वोट मिले हैं. दो सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना के रुझान में कांग्रेस की बुरी स्थिति को देखकर पार्टी में असंतोष के स्वर फूटने लगे हैं. पार्टी के पूर्व विधायक और नेता ऋषि मिश्रा ने चुनाव परिणाम पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को आड़े हाथों लिया है. ऋषि मिश्रा ने कहा कि 30 सालों से मिथिलांचल में कांग्रेस की राजनीति करने वाले मदन मोहन झा पिछले विधानसभा चुनाव और उपचुनाव चुनाव में पार्टी को अपेक्षित स्थान नहीं दिलवा सके.उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफे की भी मांग की है.
गौरतलब है कि कुशेश्वरस्थान से 15वें दौर की गिनती में जदयू प्रत्याशी अमन भूषण हजारी 7078 मतों से आगे चल रहे थे. राजद के गणेश भारती को 32247 मत मिले थे जबकि जदयू को 39325 मत. कांग्रेस के प्रत्याशी 3560 वोट ही मिल पाए थे. जाहिर है कांग्रेस की कुशेश्वरस्थान में बुरी स्थिति है और मुख्य मुकाबला जदयू और राजद के बीच ही रहा.इसी तरह तारापुर विधानसभा में आठवें राउंड तक राजद आगे था. आरजेडी के अरूण शाह को 24556 वोट मिले थे जबकि जेडीयू के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह को 21029 मत. यहां तो कांग्रेस की और भी बुरी स्थिति थी और आठवें राउंड तक इसके कैंडिडेट राजेश मिश्रा को महज 685 मत मिले थे. जाहिर है कांग्रेस के दावे की पोल खुल गई है. ऐसे में अब बिहार नेतृत्व पर सवाल उठाए जाने लगे हैं.
बता दें कि महागठबंधन में रहते हुए भी कांग्रेस-राजद ने अपने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे. दोनों ही पार्टियों की मिलीभगत की भी चर्चा हुई, लेकिन बाद में बयानबाजियों ने काफी तीखा मोड़ ले लिया था. दोनों ही दलों की ओर से तल्ख टिप्पणियां की जानें लगीं. लालू यादव ने तो प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास को भकचोन्हर तक कह डाला.हालांकि बाद में सोनिया गांधी और लालू यादव के बीच बातचीत की खबरें सामने आईं जिसके बाद मामला थोड़ा ठंडा होता दिखा था. अब जब चनाव में कांग्रेस पार्टी को झटका लगा है तो माना जा रहा है कि कांग्रेस महागठबंधन में बनी रहेगी. अगर ऐसा होता है तो सियासी जानकार मानते हैं कि फिर कांग्रेस की स्थिति राजद के पिछलग्गू वाली ही बनी रह जाएगी.