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रविशंकर बोले- देश तोड़ने वालों के साथ खड़ी है कांग्रेस और उसके सुप्रीमो राहुल

‘राहुल जेएनयू में जाकर राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ खड़े हो जाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक पर खून की दलाली का बयान देते हैं.

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सिटी पोस्ट लाईव : जम्मू-कश्मीर में सेना की कार्रवाई और राज्य की आजादी पर कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बयान को लेकर देश की सियासत में भूचाल आ गया है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद के सैन्य ऑपरेशन में आतंकवादी से ज्यादा आम लोगों के मारे जाने के आरोप के बाद  बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने जोरदार हमला बोला है.बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने आजाद के बयान को गैर जिम्मेदाराना, शर्मनाक और सेना का मनोबल तोड़ने वाला बताया है.उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम की इस टिप्पणी से सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान होगा.

रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आजाद की यह टिप्पणी को  दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वो  क्या कहना चाहते हैं ? वह क्या संकेत दे रहे हैं ? कांग्रेस पार्टी देश तोड़ने वालों के साथ खड़ा हो गई है. कांग्रेस का ऐसा नेता यह बयान दे रहा है जो जम्मू-कश्मीर की सीएम रह चुका है, जिसने कश्मीर में आतंकवाद के दंश को झेला है. सीमा पर सेना और सुरक्षाबलों के जवान ही शहीद होते हैं.’ उन्होंने कहा कि आजाद के बयान का लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन भी समर्थन कर रहे हैं.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लश्कर का प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने बयान जारी कर कहा, ‘हमारा विचार भी आजाद के विचार की तरह ही है.’ उन्होंने कहा कि सेना चीफ बिपिन रावत और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के शहीद औरंगजेब के घर जाने को आजाद ड्रामा बताते हैं. इससे शर्मनाक  बात और क्या हो सकती है ? रविशंकर ने कहा कि कांग्रेस देशविरोधियों के साथ खड़ी हो गई है. उन्होंने कहा, ‘राहुल जेएनयू में जाकर राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ खड़े हो जाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक पर खून की दलाली का बयान देते हैं.’ कांग्रेस का आज का नेतृत्व केवल नरेंद्र मोदी विरोध और बीजेपी का विरोध कर रही है.’

गुलाम नबी आजाद ने कुछ दिन पहले कहा था कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है. एक आतंकी को मारने के लिए 13 नागरिकों को मार दिया जाता है. उन्होंने कहा था, ‘हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो सेना की कार्रवाई नागरिकों के खिलाफ ज्यादा और आंतकियों के खिलाफ कम हुई है. घाटी में हालात बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि मोदी सरकार बातचीत करने की अपेक्षा कार्रवाई करने में ज्यादा यकीन रखती है. ऐसा लगता है कि वे हमेशा हथियार इस्तेमाल करना चाहते हैं.’

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