सारठ से कभी ना जीतने का मिथक तोड़ कमल खिलाने में कामयाब रहे रणधीर
सिटी पोस्ट लाइव, देवघर: सारठ विधानसभा सीट से भाजपा के कभी ना जीतने के मिथक को तोड़ते हुए कमल फूल खिलाने वाले रणधीर सिंह की जीत कई मायनों में उनके कड़े संघर्षों का प्रतिफल कही जा सकती है। इस बार के चुनाव में राजनीतिक समीक्षकों द्वारा सबसे कांटे की टक्कर वाली सीट मानी जा रही थी। कयास लगाए जा रहे थे कि झाविमो उम्मीदवार और कद्दावर शख्सियत के रूप में ख्यात उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह के सामने जीत लोहे के चने चबाने जैसा कठिन होगा। परिणाम ने जाहिर कर दिया कि रणधीर सिंह ने सारे पूर्वानुमानों को ध्वस्त कर न केवल एकतरफा जीत हासिल की बल्कि शुरुआती दौर से लेकर अंत-अंत तक झाविमो उम्मीदवार को कभी उभरने ही नहीं दिया। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने निकटतम झाविमो उम्मीदवार उदय शंकर सिंह को 28720 वोटों से शिकस्त दी। सारठ विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रहे रणधीर सिंह को कुल 90895 वोट मिले, जबकि उदय शंकर सिंह को 62175 वोट मिले। इस सीट से महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में झामुमो ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे शशांक शेखर भोक्ता का टिकट काट कर परिमल कुमार सिंह पर दांव लगाया था, जो तुक्का साबित हुआ और उसे महज 25482 मत ही प्राप्त हुए। जबकि ओवैसी की पार्टी से मुमताज अंसारी को 12830 वोट मिले। झारखण्ड की रघुवर सरकार में कृषि मंत्री रहे रणधीर सिंह इसके पूर्व सारठ से झाविमो उम्मीदवार के रूप में चुनावी जीत हासिल की थी लेकिन बाद में वो भाजपा में जा मिले और मंत्री बने। अपने तल्ख तेवर के लिए लोगों के बीच चर्चित रणधीर सिंह ने मंत्री पद का भरपूर फायदा उठाया और सारठ में विकास को गति देने में कोई कोर-कसर नहीं उठा रखी। इतना ही नहीं, गरीब -असहाय लोगों की मदद के लिए भी वे खुलकर सामने आए। राज्यभर में जब भाजपा का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहा। ऐसे में सारठ से भाजपा के कभी न जीतने के मिथक हो तोड़ने वाले रणधीर सिंह की जीत में उनकी पत्नी का भी बड़ा योगदान रहा।
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