राहुल-तेजस्वी के संवाद का मंच भी बनी जन आकांक्षा रैली, दोनो नेताओं ने एक दूसरे को दिये संकेत
सिटी पोस्ट लाइवः कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली सिर्फ पीएम मोदी, बीजेपी केन्द्र सरकार, बिहार सरकार या सीएम नीतीश कुमार पर हमले का मंच नहीं बनी और न हीं रैली का यह मंच सिर्फ कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन का मंच बना बल्कि यह मंच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच संवाद का भी मंच बना। दोनों नेताओं ने अपने भाषणों में एक दूसरे के लिए बहुत कुछ कहा संकेतों में हीं कहा लेकिन संकेत सियासी थे इसलिए हमारे लिए न तो समझना मुश्किल है और न हीं आपको समझा पाना। तेजस्वी यादव ने रैली के मंच से कांग्रेस को ये नसीहत दी कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है, उसे सहयोगियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा जाहिर है संकेत यह कि कांग्रेस से त्याग की अपेक्षा है और उम्मीद यह कि कांग्रेस हमारी क्षेत्रीय भूमिका को तरजीह दे।
तेजस्वी यादव ने उनकी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर भी बोला और कहा कि राहुल गांधी में पीएम बनने के सभी गुण मौजूद हैं और वे पीएम बन सकते हैं लेकिन निर्णय सभी सहयोगियों की सहमति से हीं होगा यानि उम्मीदवारी से दिक्कत नहीं है लेकिन पीएम उम्मीदवार राहुल गांधी हीं होंगे यह कहने की स्थिति में कोई नहीं है, तेजस्वी यादव भी नहीं। उधर जब रैली के मंच से राहुल गांधी बोलने लगे तो बोलते-बोलते वो एक संकेत तेजस्वी यादव को भी एक संकेत दे गये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेलती रही है और आगे भी फ्रंटफुट पर हीं खेलेगी। जाहिर है संकेत साफ था कांग्रेस की हैसियत छोटी नहीं और पिछलग्गू बनना भी मंजूर नहीं है इसलिए सीटों की डील हो तो इसका भी ख्याल रखा जाए।
बहरहाल पहले खरमास खत्म हुआ और अब रैली खत्म हुई लेकिन सीटों की मगजमारी अब भी खत्म नहीं हुई है। देखना होगा आज की जन आकंाक्षा रैली ने कांग्रेस की आकांक्षाओं को कितना बढ़ाया है और वे आकांक्षाएं महागठबंधन पर कितनी भारी पड़ती है क्योंकि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हैसियत का आकलन कर लिया है और सीटें उसी हिसाब से चाहिए। देखना होगा सीटों की मगजमारी में उलझी महागठबध्ंान के यारों की यारी कैसे सलामत रह पाती है।
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