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रघुवर सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य सहित हर क्षेत्र में रही विफल : प्रदीप यादव

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रघुवर सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य सहित हर क्षेत्र में रही विफलः प्रदीप यादव

सिटी पोस्ट लाइव, दुमका : राज्य सरकार विकास की दिशा से बिल्कुल भटक गई है। सरकार विकास के लक्ष्य, गोल को साधने में बिल्कुल विफल रही है। पिछले 10 से 12 वर्षो में सरकार विकास की प्राथमिकता तय नहीं कर सकी है। बदतर स्थिति पिछले 4 से 5 वर्षो में 15 से 20 गुणा राशि खर्च करने के अनुपात में फलाफल शून्य रहा है। उक्त बातें गुरूवार को दुमका परिसदन भवन में प्रेसवार्ता में झाविमो महासचिव प्रदीप यादव ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार दिशाहीन एवं लक्ष्य विहिन हो चुकी है। सरकार सभी क्षेत्रों में विफल साबित हुई है। विकास कहीं नहीं दिख रही है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व में जहां थे, वहां से और भी पीछे चले गये है। इसका परिणाम है माध्यमिक स्तर पर छात्रों को नीचले स्तर का परिणाम आना। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी से अधिक छात्र मैट्रिक पास नहीं कर पा रहे है। प्रदीप यादव ने कहा कि इसे रघुवर सरकार ने भी स्वीकारी है। मुख्यमंत्री लाचार होकर बोल रहे है नौकरी की कोई कमी नहीं है, लेकिन राज्य में योग्य युवक की कमी है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वर्तमान में आरक्षित सीटों के विरूद्ध योग्यता के अभाव में पदों का रिक्त रह जाना, अपने आप में सवाल खड़ा करता है। जबकि वर्तमान स्थिति में बदत्तर स्थिति है, स्कूलों में बच्चें नहीं है। तकनीकि क्षेत्र में आज भी छात्रों को पूर्व की भांति छात्रों का पलायन जारी है। कौशल विकास के क्षेत्र में सरकार 12 सौ करोड़ खर्च कर चुकी है। लेकिन कौशल विकास के नाम पर लूट मची है। स्वास्थ्य के दिशा में राज्य एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। जिला अस्पताल की हालत पहले से खराब हो चुकी है। करोड़ों के मशीन एवं उपक्रम धूल फांक रहे है। तकनीशियन, विशेषज्ञों की कोई नियुक्ति नहीं हो पायी है। पुराने मेंडिकल कॉलेज बंद होने के कगार पर है। एमसीआई, धनबाद, रिम्स के कई फैकेल्टी एवं जमशेदपुर के मेडिकल कॉलेज बंद होने के कगार पर है। प्रदीप यादव ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में वर्तमान समय में दो हजार मेगावाट बिजली चाहिए थी। राज्य अलग होने के स्थिति में 800 मेगावाट बिजली पैदा होती थी। वर्तमान में मात्र तेनुघाट से 1.50 मेगावाट ही उत्पन्न कर पा रही है। पीटीपीएस को एनटीपीसी के हाथों सरकार पहले ही बेच चुकी है। सरकार बिजली उत्पादन के क्षेत्र में 2020 तक आत्मनिर्भर होने का ढ़ोल पीटती फिर रही है। उन्होंने संताल परगना स्तर पर आदिवासी एवं पहाड़िया समुदाय के लोगों की संख्या अधिक होने की बात कहते हुए छात्रवृति में कटौती पर बोला कि इतने सुविधा मिलने पर इतने कम परिणाम आ रहे है। जब सरकार कटौती करेगी तो इस क्षेत्र के छात्रों की स्थिति और खराब हो जायेगी। कृषि के क्षेत्र में कहा कि किसान नाजूक दौर से गुजर रहे है। फसल बीमा कंपनी के हित को ध्यान में रखकर किया गया है। वर्ष 2016-18 बजट सत्र में सरकार बीमा कंपनी को 17867 लाख रूपये चुकता कर चुकी है। लेकिन बीमा कंपनी द्वारा मात्र 5178 लाख की बीमा राशि पूरे राज्य भर में किसानों को चुकता हुई है। कंपनी के शर्ते किसान हित में नहीं है। किसानों को 50 फीसदी फसल बर्बाद होने के स्थिति में बीमा राशि चुकता होना है। उन्होंने इस दिशा में बिहार के नितिश सरकार के बीमा योजना की सरहाना करते हुए बधाई दिया। उन्होंने कहा कि नितिश सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रिजेक्ट कर अपने शर्तो पर लागू की है। जिसमें 20 फीसदी फसल बर्बाद होने पर बीमा राशि का भुगतान होगा। राज्य स्थापना दिवस पर युवाओं के बीच में बांटी जा रही नियुक्ति पत्र पर कहा कि अनारक्षित सीट पर 80 फीसदी बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के लोगों को नौकरी दी गई है। आरक्षित सीट पर गलत प्रमाण पत्र वाले को नौकरी दी जा रही है। औसतन नियुक्ति प्रक्रिया में 50 फीसदी बाहरी लोगों के बीच नियुक्ति पत्र बांटी जा रही है। गांव में सड़क नहीं है। अब भी पेयजल की घोर संकट बनी हुई है। राज्य स्थापना दिवस पर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट के तीन-तीन मंत्रियों के अनुपस्थिति पर कहा कि सरकार के पास कुछ कहने को नहीं है। सरकार लाचार हो चुकी है। मुंह छिपाती फिर रही है। राज्य की उपराजधानी में तीन मंत्री के रहते रूची नहीं लेना ही सरकार के फेल होने का सबूत है। सरकार के लोगों को रास्ता नहीं दिख रहा है।

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