बीजेपी का बेड़ा गर्क करने पर आमादा हैं प्रशांत किशोर, क्या नीतीश ने इजाजत दी है?
सिटी पोस्ट लाइवः जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशंात किशोर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सबसे बड़ी मुश्किल बनने जा रहे हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ बतौर रणनीतिकार जुड़ने वाले प्रशांत किशोर ने तब भाजपा बड़ा नुकसान पहुंचाया था। बिहार में महागठबंधन की जीत हुई थी और की हार हुई थी। महागठबंधन की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को भी गया था क्योंकि तब सिर्फ जीत में हीं नहीं बल्कि लालू-नीतीश की दोस्ती के भी सूत्रधार बने थे पीके। अब खबर यह है कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए रणनीति बनायेंगे।
बतौर रणनीतिकार वे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए काम करने वाले हैं और इसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी से मुलाकात भी की है। जाहिर है पीके की रणनीति काम कर गयी तो पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने या मजबूती के साथ उभरने का बीजेपी का सपना टूट सकता है। इधर पीके अमादा हैं बीजेपी का बेड़ा गर्क करने के लिए क्योंकि खबर यह भी है कि उन्होंने ममता बनर्जी के साथ एक कांन्ट्रेक्ट भी साइन किया है। चूंकी प्रशांत किशोर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं इसलिए यह सवाल भी है कि उन्होंने इसके लिए अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से इजाजत ली है? और क्या नीतीश कुमार की इजाजत से हीं प्रशांत किशोर बीजेपी का बेड़ा गर्क करने की तैयारी कर रहे हैं?
JDU में वही होगा जो नीतीश कुमार चाहेंगे. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नीतीश कुमार ने ही प्रशांत किशोर को ऐसा करने के लिए कहा है.मोदी मंत्रिपरिषद में जेडीयू के शामिल नहीं होने के बाद जिस तरह से जेडीयू और बीजेपी के बीच तल्खी बढ़ी है. इससे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि हाल में प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से दो बार मुलाकात के बाद कहीं उन्होंने (नीतीश) ही इस पर सहमति दे दी है क्या?बता दें कि प्रशांत किशोर पीएम मोदी, जेडीयू, यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस, पंजाब कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस के लिए भी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं.
गौरतलब है कि हाल में ही प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई थी. इसमें उन्हें जबरदस्त सफलता भी हासिल हुई. आंध्र में जहां जगन मोहन रेड्डी अपार बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने. वहीं, उनकी पार्टी 25 लोकसभा सीटों में 22 पर जीतने में कामयाब रही है. हालांकि तस्वीर अभी धुंधली हीं है क्योंकि कई सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं लेकिन अगर पीके जो कर कर रहे हैं या करने जा रहे हैं वो नीतीश की मर्जी से हो रहा है तो जाहिर है बीजेपी के साथ जेडीयू के रिश्तों में और कड़वाहट आएगी।
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