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बिहार में ऑनलाइन वोटिंग की संभावना खारिज, जानिए क्या है विधान सभा चुनाव की तैयारी?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में ऑनलाइन वोटिंग की संभावना को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है. निर्वाचन आयोग के अनुसार देश में अभी ऑनलाइन वोटिंग के लिए न तो कोई कानून है और न ही व्यवस्था. दरअसल, बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Modi) ने बिहार विधानसभा चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग की संभावना जताई थी.

बिहार के उपमुख्यमंत्री ने बिहार में ऑनलाइन वोटिंग की संभावना जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि हो सकता है कि मतदाताओं को बिहार विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ तक न जाना पड़े. सुशील मोदी ने ट्वीट भी करके कहा कि कि कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर में जब कामकाज का तरीका बदल दिया, तब इस साल बिहार विधानसभा का चुनाव भी डिजिटल तरीके से ऑनलाइन क्यों नहीं हो सकता?

इधर, आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता, राज्यसभा सांसद और दिल्ली में पार्टी का चेहरा मनोज झा ने कहा कि हवा में बात करने से वोटिंग नहीं होती है. देश में ऑनलाइन वोटिंग संभव हीं नहीं. आरजेडी सांसद ने ये भी कहा कि आरजेडी का फोकस कोरोना पर है न कि चुनाव पर. आरजेडी ने सवाल भी किया कि क्या सुशील मोदी चुनाव आयोग के पर्याय बन गए हैं?

जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि फिलहाल जेडीयू कोरोना से लड़ने में लगी है. और ये भविष्य के गर्भ में है कि चुनाव के समय क्या परिस्थिति होगी और चुनाव आयोग क्या फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव अभी एजेंडे में नहीं है और आयोग इस मसले पर राजनीतिक दलों से भी राय-मशविरा कर सकता है.

बिहार विधानसभा चुनाव पर अब तक चुनाव आयोग के अंदर आधिकारिक तौर पर चर्चा नहीं हुई है. मुख्य चुनाव आय़ुक्त सुनील अरोड़ा अमेरिका से लौटे हैं और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के तहत 30 मई तक संस्थागत क्वारंटाइन में हैं. हालांकि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये वो चुनाव आयोग की तमाम फैसलों में अमेरिका से ही शामिल हो रहे थे और यहां से भी जरूरत पड़ने में शामिल होंगे. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव पर औपचारिक बैठक या चर्चा की संभावना चुनाव आय़ोग के अंदर अगले महीने ही होगी.

बिहार में मौजूदा विधानसभा की अवधि 29 नवंबर तक है यानी 29 नवंबर से पहले चुनाव आयोग को बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न करानी होगी. हालांकि बिहार में कोरोना की परिस्थिति में चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कई विकल्पों पर विचार करेगा. लेकिन अगर समय से पहले चुनाव नहीं होता है तो राष्ट्रपति शासन ऐसी परिस्थिति में लगाने का विकल्प बचता है.

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