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प्रशांत किशोर को कोर्ट से नहीं मिला ‘नो कोर्सिव ऑर्डर’,लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार.

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प्रशांत किशोर को कोर्ट से नहीं मिला ‘नो कोर्सिव ऑर्डर’,लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार.

सिटी पोस्ट लाइव :JDU के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को डाटा चोरी के एक मामले में कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई है. पीके की ओर से दायर जमानत अर्जी को जिला जज की अदालत से सेसन जज के कोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है. जाहिर है पीके पर अब भी गिरफ्तारी की तलवार लटकर रही है क्योंकि पीके को नो कोर्सिव ऑर्डर (No coercive order) (किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक का आदेश) भी नहीं मिला है.

गौरतलब है कि शाश्वत गौतम नाम के एक युवक ने पाटलिपुत्र थाना में एक आपराधिक मुकदमा किया था जिसमें डाटा चोरी का आरोप लगाया था. जमानत अर्जी पर सुनवाई के के दौरान जिला जज ने पाटलिपुत्र थाना से केस डायरी की मांग की. ADJ 12 के जज के पास अग्रिम जमानत पर सुनवाई के लिये भेज दिया. शाश्वत गौतम के वकील ने इस दौरान पीके की जमानत का पुरजोर विरोध किया.गौरतलब है कि बीते 28 फरवरी को शाश्वत गौतम ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि पीके का ‘बात बिहार की’ का कॉन्सेप्ट नकली है. उन्होंने बिहार की बात से मिलता-जुलता बात बिहार की डोमेन नेम बनाकर आइडिया और डाटा चुराने का आरोप लगाया था. इसी सिलसिले में उन्होंने पाटलिपुत्र थाने में एक आपराधिक केस भी दर्ज करवाया था.

शाश्वत ने पीके पर बिहार के युवाओं की डाटा चोरी किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वो बिहार के युवाओं का आंकड़ा संग्रहण कर रहे हैं. खुद तो कभी बड़े पद पर नौकरी नहीं कर पाए प्रशांत किशोर, क्योंकि उनकी शैक्षणिक योग्यता सही नहीं है.दरअसल प्रशांत किशोर ने बिहार के युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए ‘बात बिहार की’ नाम से एक कैंपेन की शुरुआत की है, जिसपर कांग्रेस के लिए काम करने वाले शाश्वत गौतम ने डाटा चोरी करने का आरोप लगाया है . धारा 420 के तहत पटना के पाटलिपुत्र थाने में एफआइआर दर्ज करायी है.  जिसके बाद प्रशांत किशोर ने शाश्वत गौतम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाते हुए जांच एजेंसी से मामले की पूरी जांच करने की बात कही है.

शाश्वत के अनुसार ‘बिहार की बात’ नाम का एक प्रोजेक्ट उन्होंने बनाया था और इसको आने वाले दिनों में बिहार में लॉन्च करने की तैयारी थी. इसी बीच ओसामा नाम के शख्स ने शाश्वत के यहां से इस्तीफा दे दिया और ‘बिहार की बात’ का सारा कंटेंट उसने प्रशांत किशोर को दे दिया.

शाश्वत के आरोप के बाद ओसामा सामने आए और उन्होंने इसके सबूत मांगे थे. ओसामा ने कहा कि वे पटना यूनिवर्सिटी में एक्टिविस्ट रह चुके हैं और प्रशांत किशोर से उनकी मुलाकात पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के दौरान हुई थी. उस वक्त छात्रसंघ चुनाव में प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई थी.ओसामा ने कहा था कि छात्र संघ चुनाव में पीके  ने काफी मेहनत की थी। मैं उनकी मेहनत से काफी प्रभावित हुआ था. जहां तक कंटेट चुराने की बात है तो शाश्वत गौतम को ये बताना चाहिए कि वे किस कंटेट की बात कर रहे हैं.

ओसामा ने बताया था कि 26 अक्टूबर 2019 से ‘बिहार की बात’ को वे चला रहे हैं. इस नाम से कई फेसबुक पेज मिल जाएंगे, जिसे कई युवा चला रहे हैं. इसमें किसी का कोई दावा नहीं है. शाश्वत गौतम जिसकी चर्चा कर रहे हैं वे सरासर तथ्यहीन हैं.

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