धर्म के आधार पर किसी को नहीं किया जा सकता नागरिकता से वंचित: पासवान.
सिटी पोस्ट लाइव :केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. पासवान ने ट्वीट कर कहा कि ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनयम, 2019 को लेकर पूरे देश में सुनियोजित तरीके से भ्रम फैलाया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस कानून के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय नागरिकों से इसका कोई लेना देना नहीं है.
पासवान ने कहा कि कोई भी सरकार किसी भारतीय की नागरिकता को नहीं छीन सकती है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पासवान ने कहा कि ‘चाहे दलित हों, आदिवासी हों, पिछड़ा हो, अल्पसंख्यक हो या उच्च जाति का हो, ये देश के मूल निवासी हैं, नागरिकता उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. उसे कोई भी सरकार छीन नहीं सकती. किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा.
पासवान ने कहा कि जहां तक राष्ट्रीय नागरिक पंजी का सवाल है, इस पर अबतक कोई चर्चा नहीं हुई है लेकिन इसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को धार्मिक आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता है. पासवान ने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मेरा और मेरी पार्टी लोजपा का मिशन है. मैंने जीवनभर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है.’उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी सरकार नागरिकता तो दूर रही, इनके अधिकार पर उंगली नहीं उठा सकती है.
पासवान ने कहा कि 2003 में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया जिसमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी की अवधारणा तय हुई थी. 2004 में संप्रग की सरकार बनी जो इसे वापस ले सकती थी. लेकिन इसे वापस लेने की बजाय 7 मई 2010 को लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा था-यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का उपवर्ग होगा.
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