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विपक्ष को तबरेज अंसारी की मौत का राजनीतिकरण करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं

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विपक्ष को तबरेज अंसारी की मौत का राजनीतिकरण करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस द्वारा तबरेज अंसारी की मौत का राजनीतिकरण करने के प्रयास की कड़ी निंदा की है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने गुरूवार को कहा कि सिख दंगों में देश में 15 हजार से ज़्यादा सिखों के मौत के लिए जिम्मेवार दल और उनके सहयोगियों को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाना चाहिए।उन्होंने कहा कि ऐसे भी तबरेज अंसारी की मौत के मामले में कुछ बिंदुओं पर पुलिस का अनुसंधान अभी भी जारी है और इसमें राजनीतिक दबाव डालना गैरकानूनी भी है। उन्होंने कहा कि तबरेज अंसारी मामले में शुरुआत में पुलिस ने 302 के तहत मुकदमा दर्ज करके एक दर्जन से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। उसके बाद फॉरेंसिक जांच की जो रिपोर्ट आई उसकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया। तब पुलिस ने धारा 302 को 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील करते हुए चार्जशीट दाखिल की। पुलिस ने चार्जशीट में यह स्पष्ट लिखा है कि जांच के दौरान कोई नई बात सामने आने पर धाराओं को बदला जाएगा। एमजीएम हॉस्पिटल जमशेदपुर ने अपनी जांच रिपोर्ट में हार्टअटैक का एक कारण सर में लगे चोट का भी बताया। उसके बाद पुलिस ने पूरक चार्जशीट दाखिल करते हुए धारा 304 को फिर से 302 में तब्दील कर दिया। शाहदेव ने कहा कि विपक्ष को सीआरपीसी की जानकारी नहीं है। जैसे-जैसे पुलिस को सबूत मिलते गए और रिपोर्ट आई उसके आधार पर पुलिस ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि  लातेहार का मामला हो या रामगढ़ का मॉब लिंचिंग के मामलों में झारखंड सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट लगाकर यह बता दिया कि सरकार ऐसे मामलों पर कितनी गंभीर है। इन दोनों मामलों के दोषियों को घटना के डेढ़ वर्ष के भीतर ही सजा मिल गई। इसलिए विपक्ष को मौत पर राजनीति बंद करनी चाहिए। सिख दंगे के आरोपी आज भी खुले घूम रहे हैं और अब केंद्र सरकार के प्रयास से उन पर जांच फिर से शुरू किया गया है। यह भाजपा शासित सरकार और विपक्ष की सरकारों के बीच की कथनी और करनी के अंतर को दिखाता है।

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