सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना काल में बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) कराने की तैयारी चल रही है. सभी पार्टियां वर्चुअल रैली (Virtual Rally) के जरिए वोटरों तक पहुँचने की कोशिश में तो जुटी हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल-वर्चुअल रैली के जरिये प्रत्याशी कितने लोगों तक पहुँच पायेगें.ट्राई की रिपोर्ट ( TRAI Report) के अनुसार मोबाइल फोन उपभोक्ताओं और इंटरनेट कनेक्टिविटी के मामले में बिहार फिसड्डी है. यहां प्रति 100 लोगों में महज 59 लोगों के पास ही फोन कनेक्टिविटी है. जबकि राष्ट्रीय औसत दर 89 है.
ट्राई की इस रिपोर्ट के अनुसार 100 लोगों में इंटरनेट के महज 32 ग्राहक हैं. जबकि राष्ट्रीय औसत 54 ग्राहक का है. बहरहाल, शहरी आबादी की हालत तो आपने देख ली है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों की रिपोर्ट भी देखिए. बिहार के ग्रामीण इलाकों में 89 फीसदी लोग रहते हैं. जबकि रिपोर्ट बताती है कि प्रति सैकड़ा 22 लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो बिहार की 61 फीसदी महिलाएं और 36 फीसदी पुरुष टीवी से दूर हैं.
गौरतलब है कि विपक्ष शुरू से ही वर्चुअल रैली का विरोध करता रहा है.विपक्ष का आरोप है कि ज्यादातर लोग मताधिकार से भी वंचित हो जाएंगे.लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऑनलाइन और वर्चुअल में सफलता मिल रही है. जहां मोबाइल फोन नहीं है वहां बीजेपी के कार्यकर्ता टेलीविजन और ब्लूटूथ के माध्यम से वोटरों को जोड़ रहे हैं. बीजेपी के सभी कार्यकर्ता न सिर्फ मोबाइल से लैस हैं बल्कि संगठन ने बूथ स्तर तक सप्तऋषि का भी गठन किया है, इसीलिए बीजेपी के लिए वर्चुअल कोई चुनौती नहीं है.
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