नीतीश कुमार का सबसे बड़ा हथियार आरक्षण, कहा- 50 प्रतिशत से ज्यादा होगा आरक्षण
सिटी पोस्ट लाइव : आरक्षण इस लोक सभा चुनाव का सबसे बड़ा हथियार बन गया है. केंद्र सरकार ने सवर्ण आरक्षण का कार्ड क्या खेला है, कांग्रेस की चुनौती एकबार फिर से बढ़ गई है. पिछले चुनाव में आरक्षण को लालू यादव ने सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया था. इसबार बीजेपी और उसके प्रमुख सहयोगी दल जेडीयू ने उसी आरक्षण के जरिये महागठबंधन को धुल चटाने की तैयारी शुरू कर दी है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरक्षण को एक बड़ा मुद्दा बनाने में जुटे हैं.बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की मांग तो कर ही चुके हैं. आज पटना में कर्पूरी ठाकुर की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ही रहे जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि आखिर कब तक ये नियम 50 प्रतिशत तक ही बना रहेगा.नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना के बाद बदलाव होगा और मेरा मानना है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि केंद्र में भी अतिपिछड़ा आरक्षण बिहार की तर्ज पर लागू किया जाए. अतिपिछड़ा में दो लोगों को आरक्षण मिलता है केंद्र में भी EBC और OBC प्रणाली लागू हो. नीतीश ने सवर्ण आरक्षण पर लोगों को सचेत किया और कहा कि कुछ लोग सवर्ण आरक्षण पर भ्रम फैला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि किसी को भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है. नीतीश ने ये भी कहा कि सवर्ण आरक्षण मिलने से पहले के आरक्षण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अतिपिछड़ों के लिए सरकार की योजनाओं को गिनाया. नीतीश ने कहा कि आज गरीबी के कारण कई लोग पढ़ाई छोड़ देते हैं इसका ख्याल रखते हुए हमने नई योजना की शुरुआत की. नई योजना के तहत UPSC का पीटी पास होने पर 1 लाख रुपये मिलेगा वहीं वाहन खरीदने के लिए सरकार 1 लाख रुपये छूट दे रही है.
नीतीश ने इस दौरान अपने विरोधियों पर भी निशाना साधा और कहा कि आज लोग वोट के लिए घृणा पैदा कर रहे हैं. समाज के अंदर तनाव फैला रहे हैं.लेकिन लोग ये जान लें कि नीतीश कुमार को वोट की चिंता नहीं है. हम सिर्फ अपना काम करना जानते हैं.राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जिस आरक्षण को हथियार बनाकर पिछले विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार ने बीजेपी को औकात बता दिया था. इसबार उसे ही हथियार बनाकर वो लालू यादव को ठिकाने लगाना चाहते हैं.नीतीश कुमार पिछड़ी जाती से आते हैं लेकिन उनकी सबसे ज्यादा पकड़ अति- पिछड़ी जातियों पर ज्यादा है. उनकी इसी ताकत की वजह से बीजेपी उनके साथ आ जाने से अपराजेय बन जाती है.
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