सिटी पोस्ट लाइव :विधानसभा का चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) का बुखार अब बिहार की राजनीति में दिखने लगा है. सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से अंदरखाने चुनावी तैयारी की शुरुआत कर चुकी हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू (JDU) भी अपना संगठन मजबूत करने में लगी है. ऐसे में चुनावी अभियान को और धार देने के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपने भवन निर्माण मंत्री डॉक्टर अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देकर बड़ा दावं लगाने की तैयारी करते दिख रहे हैं.
नीतीश कैबिनेट में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को राजनीतिक विरासत में मिली है. उनके पिता स्वर्गीय महावीर चौधरी स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के बड़े नेता थे. उसी समय अशोक चौधरी ने छात्र जीवन से युवा कांग्रेस से अपनी राजनीत की शुरुआत की थी. अशोक चौधरी 2000 में पहली बार बरबीघा से विधायक बने और उनके राबड़ी देवी के कार्यकाल में कारा मंत्री बनने का मौका मिला. अशोक चौधरी 2005 में फिर बरबीघा से विधायक बने और कांग्रेस के संगठन को मजबूती के लिए लगातार प्रयास करते रहे. ऐसे में दलित चेहरा और इनके काम से प्रभावित होकर सोनिया गांधी ने 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस का जिम्मा सौंप दिया.
बिहार कांग्रेस की कमान संभालने के बाद अशोक चौधरी लगातार बिहार में कांग्रेस की खोई जमीन को वापस पाने के लिए मेहनत करते रहे. 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव कांग्रेस अशोक चौधरी के नेतृत्व में महागठबंधन से मिलकर लड़ा. तीन दशकों से तीन से पांच विधायको में अटकी कांग्रेस को 2015 में 27 विधायक जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया. अशोक चौधरी को इसका इनाम भी मिला, दो मंत्री पद मिले. लेकिन बाद में कांग्रेस से अशोक के रिश्ते खराब हो गए और 2018 में कांग्रेस छोड़कर उन्होंने नीतीश कुमार के जेडीयू के दामन थाम लिया.
कोरोना के इस संकट काल मे अशोक चौधरी नीतीश कुमार के साथ हमेशा साए की तरह रहते हैं.नीतीश कुमार जब भी विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये पार्टी नेताओं के साथ बातचीत करते हैं, उनके साथ अशोक चौधरी नजर आते हैं. संदेश साफ़ है अशोक चौधरी को पार्टी में बड़ी जिम्मेवारी मिलने जा रही है. नीतीश कुमार बिहार में अशोक चौधरी को संगठन की बड़ी जिम्मेदारी देकर राजनीति में नया प्रयोग कर सकते हैं.
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