सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब किसी भी वक्त यानी अगले एक दो दिनों के अन्दर अपने कैबिनेट का विस्तार करनेवाले हैं. इस कैबिनेट विस्तार में लोक सभा चुनाव की तैयारी की छाप भी दिखाई देगी.कैबिनेट विस्तार में सुशासन के साथ साथ सामाजिक समीकरण का भी पूरा धयान रखा जाएगा.यानी कुछ काबिल लोग मंत्री बनेगें तो कुछ लोग जातीय समीकरण की वजह से मंत्रिमंडल में जगह पायेगें. ज्यादा संभावना है कि श्याम रजक और अशोक चौधरी का इंतज़ार अब खत्म हो जाए .
हाल के दिनों में जिस तरह से एसी /एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फेरबदल किये जाने को लेकर देश भर में दलित आन्दोलन हुआ है और इस बीच जिस तरह से दलित नेता मुखर होकर सामने आये हैं, अब राजनीति में उन्हें नजर-अंदाज करना आसान नहीं होगा.वैसे भी बीजेपी से जीतन राम मांझी के भाग जाने के बाद एनडीए में किसी दलित नेता के कद को बढाने की जरुरत मह्सुश की जा रही है.और दलित आन्दोलन को लेकर जिस तरह से श्याम रजक आक्रामक रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी मिल सकती है. दूसरे दलित नेता अशोक चौधारी जो कांग्रेस छोड़कर आये हैं उन्हें भी इस कैबिनेट विस्तार में मौका मिलाने की उम्मीद है.
दरअसल, नीतीश की कोशिश दलितों में पैठ बढ़ाने और गैर यादव अन्य पिछड़ा वर्ग को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की है.जीतन राम मांझी के महागठबंधन में जाने के बाद नीतीश किसी दलित को कैबिनेट में जगह देकर एक राजनीतिक संदेश देना चाहेंगे. इस लिहाज से श्याम रजक और कांग्रेस छोड़ कर जेडीयू का दामन थामने वाले अशोक चौधरी के नाम सबसे आगे हैं.
मुजफ्फरपुर बालिका गृह सेक्स स्कैंडल मामले में अपने पति के लपेटे में आने की वजह से अपनी कुर्सी गवां चुकी मंजू वर्मा की जगह भी किसी कुशवाहा नेता को मंत्री बनाया जाना तय है.गौरतलब है कि मंजू वर्मा ने इस्तीफा देते समय ये सन्देश देने की कोशिश की थी कि किस तरह से ब्रजेश ठाकुर के फ़ोन के सीडीआर से केवल उनका नाम उछाल कर एक शाजिश के तहत उन्हें मंत्री पद से हटाने के लिए मजबूर कर दिया गया. जिस भावुकता के साथ मंजू वर्मा ने इस्तीफा दिया, उससे इस जाति के भीतर एक हद तक सहानुभूति है. ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि आखिर मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के कॉल रिकॉर्ड को सेलेक्टिव तरीके से क्यों लीक किया गया? कुशवाहा समाज के बीच सरकार को लेकर कोई ख़राब सन्देश नहीं जाए, मंजू वर्मा की जगह किसी कुशवाहा नेता को बिठाया जाना तय है.
कुशवाहा जाति से कई नेता इसके दावेदार हैं. अभय कुशवाहा और उमेश कुशवाहा का नाम सबे आगे चल रहा है. मंजू वर्मा के जाने से नीतीश कैबिनेट में अब एक भी महिला नहीं है. नीतीश कुमार हमेशा आधी आबादी के प्रति संजीदा रहे हैं और उन्होंने जातीय समीकरण से ऊपर उठ कर महिलाओं के बीच अपनी ख़ास पैठ बनाई है. साइकल योजना से लेकर शराबबंदी जैसे सख्त कानून महिलाओं को ध्यान में रखते हुए ही उन्होंने शुरू किया .जाहिर है कैबिनेट विस्तार में एक महिला का मंत्री बनना तय है. बीमा भारती, रंजू गीता और लेसी सिंह में से किसी एक को कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा 27 मंत्री हैं.संवैधानिक व्यवस्था के तहत बिहार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 36 हो सकती है. इस लिहाज से नौ की जगह खाली है. लेकिन नीतीश कुमार सभी सीटें एकसाथ फुल नहीं करनेवाले हैं . दरअसल नीतीश दो को खुश कर चार को नाराज करने की गलती करनेवाले नहीं हैं. इसलिए दो चार मंत्रियों के लिए जगह बनाकर रखेगें ताकि बाकी लोगों के बीच उम्मीद बना रहे कि वो भी मंत्री बनाए जा सकते हैं.
Comments are closed.