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नरेंद्र मोदी का फ़र्श से अर्श तक का सफ़र, संन्यासी बनने के लिए छोड़ी स्कूल की पढाई

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नरेंद्र मोदी का फ़र्श से अर्श तक का सफ़र, संन्यासी बनने के लिए छोड़ी स्कूल की पढाई

सिटी पोस्ट लाइव : आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 68वां जन्मदिन है. मोदी कितने कद्दावार नेता हैं ये पूरा देश जानता है. लेकिन मोदी की शख्सियत कैसी है, एक इंसान के रूप में मोदी का स्वभाव कैसा है? उनकी जिन्दगी में कितने मोड़ आये. उन्होंने कैसे  कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री तक का सफ़र तय किया ये जानने की जिज्ञासा अक्सर लोगों में बनी रहती हैं. आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी भारत के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं. उनके चाहने वाले देश से लेकर विदेशों तक फैले हैं. जिसका नतीजा है कि फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक उन्हें लोग जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं. बता दें पीएम मोदी का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा. गुजरात के 2500 साल पुराने वाडनगर नाम के एक छोटे से गाँव में 17 सितंबर 1950 में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ. बेहद साधारण परिवार में जन्‍मे मोदी अपने भाई बहनों में तीसरे स्थान पर थे. घर की हालत तंग थी और इसके लिए उनके पिता को वाडकर रेलवे स्टेशन पर चाय तक बेचनी पड़ी. इसमें नरेंद्र मोदी भी उनका हाथ बताते थे और ट्रेन में चाय बेचा करते थे. परिवार का घर ऐसा था जहाँ खिड़कियों से ठीक से रोशनी भी नहीं आती थी. केरोसीन तेल पर जलने वाली एकमात्र चिमनी धुआँ और कालिख उगलती रहती थी. जो लोग मोदी को थोड़ा बहुत जानते है वह कहते हैं कि वह एक औसत दर्जे के छात्र थे.1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुँचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली. इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रहे. मोदी वर्ष 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई के महासचिव बनाए गए. नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा की.  इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए. 1998 में उन्हें महासचिव “संगठन” बनाया गया:- इस पद पर वो 2001 तक रहे. लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई. उस वक्त गुजरात में भूकंप आया था और भूकंप में 20 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए थे.मोदी के सत्ता संभालने के लगभग 5 महीने बाद ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई हिंदू कार्यसेवक मारे गए. इसके ठीक बाद फ़रवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भडक़ उठे. इन दंगों में सरकार के अनुसार एक हज़ार से ज़्यादा और ब्रिटिश उच्चायोग की एक स्वतंत्र समिति के मुताबिक लगभग 2000 लोग मारे गए. जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा किया तो उन्होंनें उन्हें ‘राजधर्म निभाने’ की सलाह दी जिसे वाजपेयी की नाराजगी के संकेत के रूप में देखा गया. जब मोदी को पद से हटाने की बात हुई तो उन्हें तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे की ओर से समर्थन मिला और वे पद पर बने रहे.इस कारण उन्हे अमेरिका जाने का वीज़ा नहीं मिला. ब्रिटेन ने भी दस साल तक उनसे अपने रिश्ते तोड़े रखे. आज तक मोदी पर दंगों को रोकने के लिए उचित कदम न उठाने के आरोप लगते हैं. 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने गुजरात के विकास को मुद्दा बनाया और फिर जीतकर लौटे. फिर 2012 में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा गुजरात विधानसभा चुनावों में विजयी रहे. नरेंद्र मोदी आरएसएस के बहुत मेहनती कार्यकर्ता थे और आरएसएस के बड़े शिविरों के आयोजन में वो अपने मैनेजमेंट का कमाल भी दिखाते थे. 2007 के विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के विकास को मुद्दा बनाया और फिर जीतकर लौटे. फिर 2012 में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा गुजरात विधानसभा चुनावों में विजयी रही. राज्य में तीसरी बार अपनी सत्ता का डंका बजाया.

2012 तक मोदी का भाजपा में कद इतना बड़ा हो गया कि उन्हें पार्टी के पीएम उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा. 2013 में उन्हें भाजपा प्रचार अभियान का प्रमुख बनाया गया और बाद में भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का एलान कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार का गठन किया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने खुद को शादीशुदा बताकर अपने वैवाहिक जीवन पर चल रहा सस्पेंस खत्म कर दिया था. पहली बार मोदी ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया था कि जशोदाबेन उनकी पत्नी हैं. मोदी अभी तक पत्नी के बारे में जानकारी देने वाले कॉलम को खाली छोड़ देते थे. जब जशोदाबेन 15 वर्ष की थीं और मोदी 17 साल वर्ष के थे, तब गुजरात के उंझा के नजदीक ब्रह्मवाड़ा गाँव में उनका विवाह हुआ था.

1. नरेन्द्र मोदी बचपन में साधु-संतों से प्रभावित हुए. वे बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे. संन्यासी बनने के लिए मोदी स्कूल की पढ़ाई के बाद घर छोड़ कर चले गये. इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे.

2. नरेन्द्र मोदी को बचपन में एक्टिंग का शौक था और वे स्कूल में एक्टिंग, वाद-विवाद, नाटकों में भाग लेते और पुरस्कार जीतते थे. एनसीसी में भी शामिल हुए. पढ़ाई में नरेंद्र एक औसत छात्र थे, लेकिन पढ़ाई के अलावा बाकी गतिविधियों में वो बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे.

3. माँ से मिली यादगार सीख:-  एक बार वो घर के पास के तालाब से एक घड़ियाल का बच्चा पकड़कर घर लेकर आ गए. उनकी माँ ने जब उस बच्चे को वापस छोड़ने को कहा, मोदी इस पर राज़ी नहीं हुए. फिर उनकी माँ ने समझाया कि अगर कोई तुम्हें मुझसे चुरा ले तो तुम पर और मेरे पर क्या बीतेगी? यह बात नरेंद्र को समझ में आ गई और वो उस घड़ियाल के बच्चे को तालाब में छोड़ आए.

4. जब नरेंद्र मोदी ने एक ख़ास तरह की टोपी पहनने से इनकार कर दिया, तो यह चर्चा का विषय बन गया. कई लोगों ने मोदी को एक ख़ास समुदाय विरोधी बताया तो कई उन्हे समर्थन देते हुए भी नज़र आए.

5. नरेंद्र मोदी शाकाहारी हैं. सिगरेट, शराब को उन्होने कभी भी हाथ नहीं लगाया. वो आम तौर पर अपने आधी बाजू के कुर्ते में नजर आते हैं.

6. नरेंद्र मोदी को पतंगबाज़ी का भी शौक है. सियासत के मैदान की ही तरह वो पतंगबाज़ी के खेल में भी अच्छे-अच्छे पतंगबाज़ों की कन्नियां काट डालते हैं.

7. बहुत कम लोग जानते है कि मोदी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया है.

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