सिटी पोस्ट लाइव : रालोसपा के सुप्रीमो केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा तो न्यायपालिका में आरक्षण की मांग को लेकर न्यापालिका पर निशाना साधते ही रहे हैं अब उनके पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष नागमणि ने पटना में बी पी मंडल के जन्म शताब्दी के मौके पर न्यायपालिका को लेकर बयान दे दिया है. नागमणि ने कहा कि आरजेडी के 15 साल के शासन में बीपीएससी में सिर्फ 6 बार परीक्षा हुई. परीक्षा अगर समय पर होती तो सरकारी पद पर गरीब, दलित, पिछड़ा और मुसलमानों की संख्या ज्यादा होती. जिस तरह बीपी मंडल ने पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ी. एक लड़ाई अभी लड़नी बाकी है. वो लड़ाई है न्यायपालिका की. न्यायपालिका में गुंडागर्दी हो रही है.
नागमणि ने कहा कि जो दलित है, आदिवासी है, पिछड़ा है, मुसलमान है, उसका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक प्रतिशत जज है. दलित, आदिवासी, पिछड़ा को गलत तरीके से फंसाने का काम किया जा रहा है. कॉलेजियम सिस्टम की वजह से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपर कास्ट के जज ज्यादा हैं. किसी भी वकील को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए कम से कम 10 साल अनुभव होना चाहिए. वहीं हाईकोर्ट का जज बनने के लिए वकील को 5 साल का अनुभव होना चाहिए. कॉलेजियम सिस्टम ने ये नियम बना दिया है कि सुप्रीम कोर्ट का जो चीफ जस्टिस होंगे, वे 4 जज की नियुक्ति करेंगे. ये 5 मिलकर जो फैसला करेंगे उसे भारत सरकार को भी मानना पड़ेगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि चीफ जस्टिस अपने परिवार के सदस्यों को जज बना रहे हैं. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोशिश की थी कि नियुक्ति को लेकर एक अलग सिस्टम बनाया जाए. पार्लियामेंट से बिल भी पास हुआ, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना. नागमणि ने कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़ों से अपील है कि अब एक होकर के एक जन आंदोलन करना होगा.
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