लालू यादव पर मेहरबान मोदी सरकार, उनके शुरू किए कई प्रोजेक्ट्स पर हो रहा काम.
सिटी पोस्ट लाइव : मोदी सरकार लालू यादव के प्रोजेक्ट्स को खटाई में डालने की बजाय उसे पूरा कने में जुटी है. रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने बिहार में जिन कई परियोजनाओं की घोषणा की थी, उसे मोदी सरकार अमलीजामा पहनाने में जुटी है.पूर्व-मध्य रेलवे के अधिकारियों की मानें तो मोदी सरकार में वो योजनाएं पूरी कर ली गई हैं.पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने मधेपुरा में लोको फैक्ट्री लगाने का ऐलान किया था. अब वहां के इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री-12 हजार हार्स पावर के इंजन का निर्माण शुरू हो चुका है. उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे और फ्रांस की कंपनी ऐल्सटम के साथ ज्वाइंट वेंचर में बनने वाले रेल इंजन का उपयोग भी पश्चिम रेलवे में शुरू हो चुका है.
लालू यादव ने जिस मढौरा डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री का शिलान्यास किया था वहां भी इंजन का निर्माण शुरू हो गया है. लगभग 50 इंजन उत्तर भारत में चलने भी लगे हैं. यह भी मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे और अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्टेशन के साथ ज्वाइंट वेंचर के जरिये बनाए गए इंजन हैं. इसके साथ ही छपरा रेल चक्का कारखाना में भी साल 2013 से निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, इसके अतिरिक्त हरनौत वैगन रिपेयर वर्कशाप में भी कार्य शुरू हो गया है.
राजेश कुमार के अनुसार नई योजना में 210 किलोमीटर मुजफ्फरपुर-सुगौली-बाल्मीकि नगर लाइन के डबलिंग का काम भी जारी है. 10 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शिलान्यास के बाद ही इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था. इसके साथ गया में मेमू रिपेयरिंग कार शेड, दरभंगा समस्तीपुर रेल लाइन डबलिंग का काम, हाजीपुर-वैशाली-सुगौली के लिए नयी लाइन बिछाने का काम, सहरसा-फारबिसगंज अमान परिवर्तन का काम चल रहा है.साथ ही पटना-रांची रूट पर हजारीबाग-बरकाकाना-रांची मार्ग का निर्माण कार्य भी 31 मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा. रक्सौल से काठमांडू तक के लिए 136 किलोमीटर की नई रेल लाइन के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है.
साल 1934 में आये भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुए कोसी रेल पुल को 86 साल बाद 31 मार्च 2020 तक शुरू किए जाने की उम्मीद है. इसके अलावा किउल-लखीसराय रूट पर किउल नदी पर बने 100 साल पुराने पुल की जगह बनाए गए नए पुल पर भी रेल का परिचालन 31 मार्च 2020 तक शुरू किया जा सकता है.गौरतलब है कि पिछले बज़ट में यानी 2019-20 के लिए ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे को 4560.12 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से मिला था. साल 2018-19 की तुलना में 542 करोड़ यानि 13.5 फीसदी अधिक था. इस बार देखना है कि चुनावी वर्ष में बिहार को रेल की ओर से क्या सौगात दी जाती है.
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