City Post Live
NEWS 24x7

डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा, मंत्री को लेनी चाहिए नैतिक जिम्मेवारी और देना चाहिए इस्तीफा

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा, मंत्री को लेनी चाहिए नैतिक जिम्मेवारी और देना चाहिए इस्तीफा

सिटी पोस्ट लाइव : अब नीतीश सरकार एक्शन में आ गई है. बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप मामले में समाज कल्याण विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छह जिलों के सहायक निदेशक और सात जिलों के सीपीओ को सस्पेंड कर दिया है. सूत्रों के अनुसार इस मामले में अब समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के ऊपर गाज गिर सकती है. विपक्ष तो विभागीय मंत्री मंजू वर्मा के इस्तीफे की मांग कर ही रहा है. अब सत्ताधारी दल से मंत्री के इस्तीफा नहीं देने को लेकर सवाल उठाया जाने लगा है.बिहार के मुजफ़्फ़रपुर स्थित बालिका सुधार गृह को लेकर अब एनडीए में भी सवाल उठने लगे हैं. बीजेपी के वरीय नेता और सांसद सीपी ठाकुर ने इस मामले में पहली बार सवाल खड़े किये और विभाग की मंत्री मंजू वर्मा से इस्तीफे की मांग की. पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने कहा कि बालिका गृह में रहने वाले बच्चियों के साथ हो रही घटना की जानकारी मुझे भी किसी ने पहले दी थी.मैं वहां जाने वाला था लेकिन लखीसराय जाने के कारण मैं वहां नहीं जा सका. मेरे मुजफ्फरपुर जाने से पहले ये घटना अखबारों में आ गई.उन्होंने कहा कि बच्चियों के साथ इतनी बड़ी घटना घट रही थी और समाज कल्याण विभाग को जानकारी नहीं हो ये हैरान करने वाली बात है. ये पूरी तरह से समाज कल्याण विभाग की चूक है. सीपी ठाकुर ने कहा कि विभाग द्वारा संचालित कई संस्थानों में भी गड़बड़ियां हो रही हैं.

उन्होंने कहा कि विभाग की मंत्री मंजू वर्मा को इस मामले में खुद सोचना चाहिये और नैतिक ज़िम्मेवारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. अगर जांच के बाद सब साफ़ हो जाएगा तो वो फिर से मंत्री बनें. बीजेपी नेता ने कहा कि मामला इतना बड़ा हो गया है कि अब विदेशों से भी लोग इस घटना को लेकर बिहार पहुंच सकते हैं.पी ठाकुर के बयान पर नीतीश सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता ख़ुर्शीद आलम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा  कि हर व्यक्ति का स्वाभिमान अलग-अलग होता है. कोई अपने स्वाभिमान को कितना बर्दाश्त कर सकता है ये उसके व्यक्तित्व के ऊपर निर्भर करता है. इंसान को अपने स्वाभिमान की रक्षा ख़ुद करनी पड़ती है.

डॉक्टर सीपी ठाकुर ने सिटी पोस्ट लाइव से बातचीत करते हुए कहा कि किसी बालिका गृह में वर्षों से सेक्स स्कैंडल और यौन उत्पीडन का काम चल रहा हो और विभाग के मंत्री और अधिकारी इससे अनजान हों, संभव नहीं है.उन्होंने कहा कि पूरा विभाग  दोषी है और मंत्री कैसे जबादेही से भाग सकती हैं. डॉक्टर सीपी ठाकुर ने कहा कि आरोप जब गंभीर  तो मंत्री को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए नहीं तो इससे सरकार की किरकिरी होती है.

दूसरी तरफ सरकार की तरफ से  समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कारवाई का सिलसिला जारी है. समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशक को निलंबित किया गया है. जिन जिलों के सहायक निदेशक को निलंबित किया गया है उनमें मुंगेर, भागलपुर, अररिया, भोजपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशक के अलावा सात जिलों के बाल संरक्षण पदाधिकारी  भी निलंबित किये गये हैं.

गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बिहार के इस हाई प्रोफाइल मामले में चुप्पी तोड़ी थी. चुप्पी तोड़ने के 48 घंटे के भीतर ही ये बड़ी कार्रवाई हुई है. इससे पहले सरकार ने मामले में सख्त कदम उठाते हुए समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा को सस्पेंड कर दिया था. दिवेश शर्मा ने ही मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस की एफआईआर दर्ज कराई थी. दिवेश सुधार गृह कांड में भी वादी हैं. दिवेश शर्मा पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस  की सोशल ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी का आरोप है.

बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न कांड को लेकर दिल्ली से पटना तक सियासत तेज हो चुकी है. विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर लगातार हल्ला बोल रहा है. इसी मामले में बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री सुरेश शर्मा को शनिवार को विरोध का सामना करना पड़ा. नगर निगम में योजनाओं का शिल्यान्यास करने दरभंगा पहुंचे मंत्री सुरेश शर्मा को कांग्रेस सेवा दल के जमाल हसन ने अपने समर्थकों के साथ काले झंडे दिखाए. प्रदेश में इस मामले को लेकर नेताओं के बीच खुला खत लिखे जाने की भी होड़ मची है.

बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह का यह पूरा मामला तब प्रकाश में आया, जब टीआईएसएस की सोशल ऑडिट रिपोर्ट सामने आई. 31 मई को बिहार सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कैसे इन बालिका गृह में छोटी-छोटी बच्चियों का शोषण किया जाता रहा है.उसके बाद भी दो महीने तक विभाग की तरफ से कोई कारवाई नहीं की गई. जब मामला मीडिया के संज्ञान में आया तब जाकर कारवाई शुरू हुई.वैसे राज्य के दूसरे बालिका गृहों में भी गड़बड़ी की रिपोर्ट है.लेकिन अभीतक सरकार केवल मुजफ्फरपुर मामले में ही उलझी हुई है.

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.