लोकसभा चुनाव के पूर्व कई नेताओं ने बदला पाला
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: लोकसभा चुनाव शुरू होते ही कई नेताओं ने अपना पाला बदल लिया है। चुनाव से पहले मौके की नजाकत भांपकर नेता पाला बदल लेते हैं। झारखंड राज्य में लोकसभा चुनाव के पूर्व कई नेताओं ने अपना पाला बदल लिया है। ऐसे में देखा जाए तो झारखंड राज्य की राजनीति में दल बदलुओं की एक बड़ी फौज खड़ी हो गई है। लोकसभा हो या चाहे विधानसभा चुनाव में नेता पाला बदलते हैं। झारखंड में लोकसभा चुनाव के पूर्व लगभग 10 से अधिक बड़े नेताओं ने अपना पाला बदलकर दूसरी पार्टियों में शामिल हुए हैं। इनमें राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा का दामन थामा है। भाजपा ने उन्हें कोडरमा से उम्मीदवार बनाया है। वहीं राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह और जनार्दन पासवान भी भाजपा में शामिल हुए हैं। इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने जदयू का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। जबकि जय भारत समानता पार्टी की विधायक गीता कोड़ा ने अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है। इसके अलावा झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) की नीलम देवी और प्रभात भुइयां ने झाविमो का साथ छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। जबकि झारखंडी दिशोम पार्टी के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की है। झारखंड के कई बड़े नेताओं ने दल बदल कर चुनाव लड़ा, इसमें कई नेता जीते, तो कई को हार का सामना करना पड़ा है। झारखंड में इस बार दो राजनीतिक दल के प्रदेश अध्यक्ष ने ही पाला बदलकर अपनी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया। इसमें जदयू के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो व राजद की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी शामिल है। कई पार्टियों के नेता पाला बदलने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री भी बने। इनमें सबसे पहले नाम आता है झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का। उन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से की थी। 1995 में विधायक बने। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में विधायक बनने के बाद वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार झाविमो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह प्रदेश अध्यक्ष बने। जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो भी पहले झामुमो से विधायक थे। भाजपा में आने के बाद वह जमशेदपुर से 2014 में सांसद बने। इसके अलावा कई अन्य नेता ऐसे हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। ये नेता सांसद और विधायक भी बने।
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