जेएमएम का काम आदिवासियों के नाम पर राजनीति कर पैसा बनाना
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) आदिवासी और मूलवासी के कल्याण की बात करता है लेकिन इनको हक दिलाने की बात आती है तो जेएमएम को बाहर के लोग याद आते हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री दास पूर्वी सिंहभूम स्थित बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र की केंदुआ पंचायत स्थित जयापुर हाट मैदान में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के चुनाव में जेएमएम ने मूलवासी या आदिवासी को टिकट कभी नहीं दिया। इसी जेएमएम ने अर्जुन मुंडा की सरकार को सत्ता से हटाकर खुद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गए। मुख्यमंत्री रहते हुए इन्होंने राज्य के बालू को मुंबई की एक कंपनी को दे दिया, जबकि इस पर ग्राम पंचायत का हक था। वर्त्तमान भाजपा की सरकार ने इस व्यवस्था को हटाया और ग्राम पंचायत को बालू उठाव की जिम्मेवारी सौंपी। जेएमएम ने आदिवासियों को छलने का काम किया है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर 500 करोड़ की जमीन सोरेन परिवार ने अपने नाम कर ली। इसके प्रमाण भी हैं। उन्होंने कहा कि लोग 2014 से पूर्व की सरकारों और मौजूदा सरकार की तुलना कर सकते हैं। पूर्व की सरकारें घोटाले में लिप्त रहीं। 2019 में भी विपक्षी गठबंधन लूट के लिए बना है। इस गठबंधन से सबसे अधिक नुकसान गरीबों को होगा। मोदी सरकार बनने के बाद गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, युवा को ध्यान में रखकर योजनाएं लागू की गयीं। आतंकवाद और उग्रवाद के मामले में सरकार ने सख्ती दिखाई, जिसका परिणाम है कि ये अंतिम सांसें गिन रहे हैं। मुख्यमंत्री दास ने कहा कि झारखंड में अबतक सात लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है जिसमें जनता ने नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास दिखाया है। 12 और 19 मई को 7 सीटों पर होनेवाले मतदान में भी जनता भाजपा के पक्ष में मतदान करेगी, यही उनका विश्वास है।
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तीन आदिवासी मुख्यमंत्री हुए पर संथाल पिछड़ा रहा, लेकिन अब संथाल के युवा जग चुके हैं*
मुख्यमंत्री दास ने कहा कि संथाल परगना से तीन आदिवासी मुख्यमंत्री हुए लेकिन संथाल समाज को विकास की ओर उन्मुख करने और उनकी भाषा ओल चिकि को सम्मान देने का कार्य किसी ने नहीं किया। वर्त्तमान सरकार ने ओल चिकि को सम्मान दिया। कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई ओल चिकि में हो यह सुनिश्चित किया गया। सरकारी भवनों के नाम ओल चिकि में लिखने का आदेश दिया गया। एकबार फिर दुमका से शिबू सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वे ठीक से चलने में भी असमर्थ हैं। उन्होंने 40 साल तक संथाल के लिए कुछ नहीं किया। अब संथाल का युवा वर्ग जाग चुका है। वे जानते हैं कि उनकी भावनाओं को भड़काकर आदिवासी के नाम पर राजनीति करने वाले, विकास कार्य को उनतक पहुंचने नहीं देना चाहते।
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